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गगवाल ने परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुथु सागरजी महारज के शुभाशीर्वाद से इस कार्य मे अथक परिश्रम किया है। अन्य सहयोगीगण सर्वश्री मोतीलालजी हाडा, श्री होरालालजी सेठी, श्री लिखमीचन्दजी बख्शी, श्री लल्लूलालजी जैन (गोधा), श्री रवि कुमार गगवाल, जैन सगीत कोकिला रानी बहिन श्रीमती कनकप्रभाजी हाडा, श्रीमती मेमदेवी गगवाल का समय-समय पर सहयोग मिलता रहा है । अतः सभी को बहुत २ धन्यवाद देता हूँ।
ग्रन्थमाला समिति द्वारा प्रकाशन कार्य को बहुत ही सावधानी पूर्वक देखा गया है फिर भी इतने विशाल कार्य में त्रुटियो का रहना स्वाभाविक है। ग्रन्थ में प्रकाशित सामग्री मेरे सामान्य ज्ञान की परिधि के बाहर की है। मैने तो मात्र परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कु थु सागरजी महाराज की आज्ञा को शिरोधार्य करके यह कार्य किया है। अत साधुवर्ग विद्वतजन व अन्य पाठको से निवेदन है कि त्रुटियो के लिये क्षमा प्रदान करे ।
ग्रन्थमाला समिति द्वारा प्रकाशित ग्रन्थो के प्रचार-प्रसार के कार्यो मे सभी जैन पत्रो, (जैन गजट, जैन मित्र, करूणा दीप, अहिसा, पुष्पदत्त धारा) आदि पत्रो के सम्पादक महोदयो का हमे सहयोग मिलता रहा है । हम न थमाला समिति की ओर से सभी का आभार व्यक्त करते हुए उनके सदैव दिये गये सहयोग के लिये धन्यवाद देते है और आशा करते है कि भविष्य मे भी आप सभी का सहयोग हमे ग्रन्थमाला द्वारा प्रकाशित ग्रन्थो के प्रचार-प्रसार के कार्य मे प्राप्त होता रहेगा।
परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुथु सागरजी महाराज ने विशाल सघ सहित वर्ष १६८६ का वर्षायोग बडौत नगर मे किया। वर्षायोग मे समय-समय पर अनेक धामिक आयोजन समय-समय पर हुए, जिससे बहुत ही धर्म प्रभावना हुई और आज भी दिनाक ८/२/६० को परमपूज्य श्री १०८ गणघराचार्य कु थु सागरजी महाराज द्वारा श्री १०५ क्षुल्लक कुमार विजयनन्दिजी महाराज की दीक्षा हो रही है, ऐसे मागलिक शुभावसर पर परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुथु सागरजी महाराज के शुभाशीर्वाद से ऐसे मागलिक शुभावसर पर प्राकर कार्यक्रम में सम्मिलित होने का मौका प्राप्त हुआ है और इसी शुभावसर पर ग्रन्थमाला समिति द्वारा प्रकाशित द्वितीय सस्करण 'लघुविद्यानुवाद' ग्रन्थ की प्रथम प्रति गणघराचार्य कुथु सागरजी महाराज के कर-कमलो मे भेट कर प्रार्थना करता हूं कि इस ग्रन्थराज का विमोचन करने की कृपा करे ।
गुरु उपासक सगीताचार्य, प्रकाशन सयोजक शान्ति कुमार गगवाल (बी कॉम)
जयपुर (राज.)