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________________ २०४ ग्रह भूतवेताल व्यतर शाकिनि डाकिनी ना दोष निवारय २ सर्व पर कृत विद्यानाशय २ हू फट् घे घे ठ ठ वषट् नमः स्वाहा । विधि : - इस मरिण भद्र क्षेत्रपाल के महामन्त्र को दीप धूपपूर्वक क्षेत्रपाल की धूमधाम से पूजा करके ब्रह्मचर्यपर्वक, एकासन करता हुआ सिद्ध करे १००० वार तो ये मन्त्र सर्व कार्य सिद्ध करने वाला है । जो भी रोगी भूत प्रेत बाधा से दुखी हो उसको बैठाकर इस मन्त्र से १०८ बार भाडा देने पर उसकी व्यतर बाधा हट जायेगी । रोग से मुक्त हो जायगा । किन्तु पहले सिद्ध करना पडेगा । मन्त्र सिद्ध करे तो डरे नही, इस मन्त्र से मरिण भद्र भैरव प्रत्यक्ष भी आ सकते है । मन्त्र :- ॐ ह्रीं श्री श्रहं चन्द्र प्रभपाद पंकज निवासिनी ज्वाला मालिनी तुभ्यं नमः । लघुविद्यानुवाद विधि :- इस मन्त्र का ६ दिन तक पिछली रात्रि मे शुद्ध होकर ३ माला जप करे नित्य तो ज्वालामालिनी देवी जी प्रत्यक्ष दर्शन देवे । मन्त्र — ॐ क्षां क्षीं क्षू क्ष क्ष क्षः भगवति सर्व निमिति प्रकाशिनी वाग्वादिनि हिफेनस्य मासं धुवां कं कथय २ स्वप्नं दर्शय २ ठः ठः । — इस मन्त्र का खूब जप करने से सर्व चीजो के भाव क्या खुलेगे सो स्वप्न में दिखेगा । अनोत्पादन मन्त्र :- ॐ तद्यथा प्राधारे गर्भ रक्षरणे ग्रास मात्रिके हूं फट् ठः ठः ठः ठः ठः । विधि : - अनेन मन्त्रेण रक्त कुसुम सूत्रे स्त्री प्रमाणे ग्रन्थि ७ स्त्रो के कटि बाधे गर्भ थमे अधूरा जय नही । मन्त्र १००८ प्रथम जपै । दीप धूप विधानेन जपै । विधि मन्त्र :- ॐ उदितो भगवान सूर्य सहस्राक्षो विश्व लोचन श्रादित्यस्य प्रसादेन श्रमुकस्य द्ध शिरोद्ध नाशय नाशय ही नमः । विधि :- डोरा करि १०८ बार मन्त्रि गाठ दे कर बाधे श्रधा शीशी जाय ! मन्त्र :- ॐ नमो विधि मेघ कुमाराणां ॐ ह्री श्री क्षम्व्यू मेघ कुमाराणां वृष्टि कुरु कुरु ह्री संवौषट् । - प्रथम १ लाख विधिपूर्वक जपै । जब पानी बरसावना होय तब उपवास कर पाटा पर लिख पूजा कर जपै पानी बरसे।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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