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लघुविद्यानुवाद
मन्त्र :-अरकंड मंडलस चरा चरं तीरिण पोहउ प्रलय नीयउ कालिंग वइं गरणध
तुरकं । विधि :-बार १०८ भणित्वा चोर्यतेप्लीह को परि रविवारे प्लीह को यात्येव । मन्त्र :-ॐ भगबति भिराड़ी भाटप्तु तु कुरु कुटउतिरिण भगवति भिराड़ी की ६ मास
सेवा कीधी भगवति भिराडी तूसि करि वरू दीहुउ जुकणू जल वटि थल वटि
प्रम्हरउ नामुले सइ तसुकु सवणु फेडि ससवणु होसइ । विधि :-इस मन्त्र को घर से जाते समय ३ बार स्मरण करे तो अपशकुन भी शकुन हो जाते है ।
बार ३ अस्तु वस्त्रु मार्गेऽपशकुन सु सकुन भवति । मन्त्र :-ॐ ह्रीं अर्ह शासन देवते सिद्वायके सत्यं दर्शय दर्शय कथय कथय स्वाहा । विधि -परदेश जाते समय इस मन्त्र का सात पाँव चलकर ७ बार स्मरण करे तो मुहुर्त वार
शकुन अच्छे न होने पर भी सर्व कार्य सफल होते है। अशुभ मुहुर्त भी इस मन्त्र के प्रभाव
से शुभ हो जाता है। विशेष -सरसो का चूर्ण करे, फिर अकोल के तेल मे आग पर औटावे, फिर उस तेल को ऊट के
चमड़े से ब जूतो पर लगावे, फिर चले तो एक मे सौ योजन की शक्ति पा जाती है
और फिर सौ योजन वापस लौट भी सकता है। मन्त्र -ॐ कलय विकलाय स्वाहा ॐ ह्री क्षी फट् स्वाहा । विधि -कलपानिये मन्त्री बार २१ गुणनियौ सर्व कर्म करो च । मन्त्र :-नानउ वोलइ सूतली चाउ चउदिशी मोकली । विधि .-इस मन्त्र से तेल मन्त्रित करके लगाने से सुखपूर्वक प्रसूति होती है। मन्त्र :-ॐ क्षां क्षं क्षं। विधि -इस मन्त्र से कर्ण श्रूल (कान का दर्द) मिटता है। मन्त्र -ॐ श्रूलानाथ देव नास्ति सूल सखानाथ देव नास्ति श्रूल ब्रह्म चक्रण योगिनी
मंत्रेण भ्र ५। विधि -इस मन्त्र से प्रसूति श्रूल का नाश होता है । मन्त्र :-ॐ ह्रीं कल लोचने ल ल भी क्ली प्ली प्ली अमकस्या गर्भ स्तंभय स्तंभय
क्लां क्लीं क्लूठः ठः स्वाहा ।