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लघुविद्यानुवाद
मन्त्र :- ॐ नमो भगवते हिमसीत लेहि मतुपारपातने महाशीतले ठः स्वाहा । विधि -इस मन्य से अग्नि उतारी जाती है। मन्त्र :-ॐ ज्लां ज्ली ज्लं ज्लः । विधि .-इस मन्त्र से अग्नि का स्तम्भन होता है। मन्त्र :-ॐ ह्रीं ठः। विधि :-इस मन्त्र से अग्नि का स्तम्भन होता है। मन्त्र :-ॐ अमते श्रमत वर्षरिण स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र मे काजि (मट्ठा) मन्त्रित करके उस मट्ठा कांजी से धारा देवे तो अग्नि का
स्तभन होता है। मन्त्र :--ॐ नमः सर्व विद्याधर पूजिताय इलि मिलि स्तंभयामि स्वाहा । विधि -इस मन्त्र को पटकर अपनी चोटी मे गाठ लगा कार अग्नि मे प्रवेश करे तो जलेगा
नही। मन्त्र :-गंग वहंती को धरइ कोकलि विसुखाइ एहिं विदि हि विदउ वेसं
नरु ऊल्हाइ। ॐ शीतले ३ स्ये शीतल कुरु कुरु स्वाहा । (चारायां
स्मयते) । मन्त्र -वालेयः कर्द मेयः चिखिल यष्ठ कारं ठः । विधि :-इस मन्त्र से भी दिव्य स्तभन होता है। मन्त्र :-इंद्रणरइय चुल्लिउ वेण चाडा विषं तिल्ल महादेवेण थंभियं हिमजिस्व
सोयलं द्वाहि गोलक स्तभ ॐ जं जे अमृत रुपिणी स्वाहा । विधि - इस मन्त्र से (चारिका) दासी का स्तंभन होता है। मन्त्र :-ॐ ह्रीं स सूर्याय असत्यं सत्यं वद वद स्वाहा ।
विधि .-इस मन्त्र को २१ बार स्मरण करके सिर पर हाथ धरे फिर पाग में प्रवेश करे तो पाग
मे नही जलता है। यह मन्त्र झूठे को सत्य कहलाने वाला है। झठा आदमी अगर शपथ करे कि मेरी अगर बात झठी हो तो मैं आग मे जल जाऊगा नहीं तो जल गा नहीं। ऐसी शपथ करने वाला झूठा आदमी भी इस मन्त्र का प्राश्रय लेकर आग मे प्रवेश करें तो झठा होने पर भी अग्नि मे नही जलेगा और सच्चा सावित होगा नि सन्देह ।