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लघुविद्यानुवाद
मन्त्र :-ॐ यः क्षः स्वाहा । अनेनापि सर्वतथैव कार्य वालको पशमो भवति । मन्त्र :-ॐ देवाधिपत्ते सर्व भूतादि पत्ते ह्री बालकं हन २ शोषय २ अमकस्य हुं
फट् स्वाहा। विधि :--दोरउ नवततु नव गठ्ठि वालकोपशमो भवति । मन्त्र .-ॐ श्रीं ठः ठः स्वाहा । विधि -पानी अभिमन्त्र्य १०८ बार पीयते हिडुकि नाशयति । मन्त्र :- ॐ ह्रीं ठः ठः ठः स्वाहा । विधि :--वार ३२ हिडकी नश्यति । मन्त्र :-ॐ क्षां क्षां क्षुबै क्षौ क्ष क्षः। विधि --गर्म पानी को २१ बार मन्त्रित करके पीने से विश्र चिका नाश होती है । मन्त्र :-भस्म करी ठः ठः स्वाहा । ॐ इचि मिचि भस्म करी स्वाहा । ॐ इटिमिटि
मम भस्म करि स्वाहा । विधि .--इस मन्त्र से जल मन्त्रित करके पिलाने से और हाथ से झाडा देने से अजीर्ण ठीक होता
है और अतिसार भी ठीक होता है और पेट का दर्द भी ठीक होता है । मन्त्र :-प्रतीसारं वंधेमि महाभेरं वधेमि न क्वाहि वंधेमि स्वाहा । विधि -डोरा को ७ बार मन्त्रित करे, फिर कमर मे बाधे तो नाक रक्त, अतिसार ठीक होता है।
और बहुत खट्टी काजी निमक के साथ पीने से भी अतिसार ठीक होते है । मन्त्र :-ॐ नमो ऋषभध्वजाय एक मुखी द्विमुखी अमकस्य क्लीहा व्याधि छिदय २
स्व स्थानं गछ प्ली हे स्वाहा । यह प्लीहा मन्त्र है । मन्त्र :-ॐ क्रों प्रों ठः ठः स्वाहा । विधि .-इस मन्त्र का १०८ बार जाप करने से दुष्ट वर्ण (घाव) का नाश होता है । मन्त्र .--ॐ इटि तुटि स्वाहा । विधि :-( वलि नाश.) मन्त्र :--ॐ इज्जेविज्जे हिमवंत निवासिनी अमोविज्जे भगंदरे वातारिसे सिंभारि स
सोरिण यारि से स्वाहा।