________________
११४
लघुविद्यानुवाद
मन्त्र :-ॐ मातग राजाय चिलि चिलि मिलि मितक्ली अमुकस्य रक्तं स्तंभय स्तभय
स्वाहा। विधि :--शुक्ल (सफेद) रग के डोरे को इस मन्त्र से २१ वार मन्त्रित करे, फिर उस डोरे को वाधे
तो स्त्रियो का रक्त श्राव वध होता है। मन्त्र :-करुणी वरुणी हुइव हिरिणरात मुहि रातपूठी पारे अछउ श्रीघोडी भेडु उतार
उपहर मलाउभतु संचार उ जहिपहर उतेही पहरिसंसारउ । विधि -बार २१ वातग्रस्थस्य श्वस्य हस्त वाहन घोडा हस्त वाहन मन्त्र । मानुपस्यापि रक्ते
निष्कासिते हस्तो वाह्यते । मन्त्र :-वजदंडो महादंडः वज्जकामल लोचनः वज हस्त निपातेन भूमौगछ महाज्वरः
एकाहिक द्वयाहिक व्याहिक चातुर्थिक नश्यंतु त्रिभिः । विधि :-एष मन्त्रो वहुकरि तृणेन चूना रसेन नाडा वल्लीदले लिखित्वा यस्य ज्वर आगच्चति तस्य
पाहि क्षापनीय ज्वर नाश्यति । मन्त्र :-ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं फे नमः । विधि :-लक्ष जापेन वधनात्मुच्यते । मन्त्र :-ॐ ह्री श्री झौ झा कोदंड स्वामिनि मम वंदि मोक्षं कुरु कुरु स्वाहा । विधि :-रोज सवेरे दोनो समय दक्षिण की तरफ मुख करके रौद्र भाव से १०८ बार इस मन्त्र को
जपे तो बन्दि-मोक्ष । मन्त्र :-ॐ ह्री पद्म नंदेश्वर हूं। विधि .-इस मन्त्र को १०८ बार जपने से पाप से मक्ति मिलती है। ५००वार जपने से वह विशेष
रूप, १००० जप से अपमृत्य चालयति, २००० जप से सौभाग्य करोति. रात-दिन में ध्यान करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। (वृद्धि होती है) और १ लाख जप करने से
बन्दि मोक्ष, सर्व प्रकार का दारिद्र नाश होता है। मन्त्र --उद्धीध गधगती प्रज्वलंती हरगइ झाल गुरुपदेशी नामा नपार्या । विधि -ध्यायती सिद्धि स्तभयति घात वात अग्नि दग्वलावणा दौपिछादिना उजन कलपानीय
सर्वमुप शमयति दृष्ट प्रत्यय । मन्त्र :--ॐ वीर नारसिहाय प्रचंड वातग्रह भंजनाय सर्वदोष प्रहरणाय ॐ ह्री अम्ल व लू श्री स्फी त्रोय्य २ हुं फट् स्वाहा ।
. विधि .--इस मन्त्र से दुष्टवातादि उजन ।