________________ लघुविद्यानुवाद 85 भिन्न अर्जुन कइवारिण नार सिंह कइ मन्त्री म्हारइ हाथि शरीर विसइ नाथि चउसटि सह दोष नाथि वावन्नसइ लोंट नाथि आरिण आणि कट्टि कट्टि सोखाम्हारउ वुत कीजइ काटि फोडी पासिधरजइ अइसउ सोखा तुंवलि वंतउ लायउ लग्गइछवियउ छटु इ फूट उफटु उ घाइ लग्रइ वायुसोखाचेट की शक्ति, ए, ए, मंत्रन जाहि भस्मेन लहुइउ हंसा ठाउ, उच्चरइ संमुद्रहतीरि पंखपसार इविसुहडइ अई अहभरइ शरीरुउ सरुदिसपसरु हंस समुजीव परिवसइ विदूनास्ति विसुज फोडी छिन्न काली फोडी छिन्नउ कविलि फोडि छिन्न लोही फोडि छिन्न राती फोडी छिन्नलुय छिन्न पारिणयलुय छिन्न ॐ सुकवरण सुकु ॐ हत्तइ संकरु मच्छइ बह्मा टोपइ उठ्ठ उछ वइसु वइसु सुकइ करइ कूडि सिरी नाइं गयउ देउ जय जया विजया जेण तेरण पंथेरण कट्टि धल्लिरिवेडा जइन कट्टि घल्ल इंत महादेव की भार संकल तूपडइ फोडी वैश्वानर तोडी नीरवरिहि किनीस्वार हू कि वैश्वानरि प्रज्वाल वज्र स्वादियउ मूलि जिम्व धूलि छलि छिदि छमि कालु रुद्र अग्नि उम्पुड हइ जइ इवु पिडिरह इज फोडी सिवनास्तिविसु / विधि –अनेन मन्त्रेण लूतादि फोडी वार 7/21 (उजिता श्रुष्यति) मन्त्रित करने से तुलादिक से होने वाले फोड़े-फुन्सी शात होते है। मन्त्र :-हूं खे रक्षे खः स्त्रीक्षे हूं फट् / विधि :-लक्ष जाप्यान् मोक्ष / मन्त्र :-ॐ इति तिटि स्वाहा। विधि :-108 बार भणित्वा त्रिकाल हस्त वाहन कार्य कारव विलाइ पीडा नाशयति / मन्त्र :-लूण लूणा गरिहि उत्पन्न जोगिणिहिउपायउ जाहि गलिमि उरत्ताविकलि जमष्यु देखिन सक्कइ सुवामिय पातालि / विधि - इस मन्त्र से नमक को सात बार मन्त्रित करके जिसके नाम से खावे वह वशी होता है। मन्त्र :-ॐ ऽमर्हसिद्ध संयोगि केवलि स्वाहा / ॐ आइच्चु सोम मंगल बुद्ध गुरु सुक्को शनि छरो राहु केतु सव्वे विगहा हरंतु ममविग्यरोग चयं ॐ ह्रीं अछुप्ते मम श्रियं कुरु कुरु स्वाहा आहिय सराहिया हः म्हः यः यो हु वः ऊहः /