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लघुविद्यानुवाद
ॐ ह्रीं मंगलाणं च सव्वेंस पढ़मं हवइ मंगलं श्रात्म चक्षु पर चक्षु रक्ष रक्ष रक्ष रक्षामन्त्रोयम् ।
चोर दिखाई न देने अर्थात् चोर भयनाशन मन्त्र
ॐ नमो अरिहंताणं श्रमिरणी मोहरणी मोहय मोहय स्वाहा । विधि :- २१ बार स्मरण करे, गॉव मे प्रवेश करते हुए । अभिमन्त्र ' क्षीर वृक्ष्यो हन्यते लाभा : ' रास्ते मे जाते हुए इस मन्त्र का स्मरण करने से चोर का दर्शन भी नही होता । वांच्छितार्थ फल सिद्धि कारक मन्त्र
ॐ ह्रीं सिप्रा उसा नमः ।
असि श्रा उसा नमः ।
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( महामन्त्र )
( मूल मन्त्र )
ॐ ह्रीं श्रर्हते उत्पत उत्पत स्वाहा । ( त्रिभुवन स्वामिनि ) विधि :- स्मरण करने से वाछितार्थ सिद्ध होता है ।
नवग्रह अरिष्ट निवारक जाप्य
ग्रह - ॐ ह्रां णमो प्रायरियाणं । सूर्य-मंगल- - ॐ ह्रां णमो सिद्धाणं । चन्द्रमा-शुक्र- - ॐ ह्रीं गमो अरहंताणं ।
बुध - वृहस्पति - ॐ ह्रीं णमो उवज्झायाणं ।
शनि-राहु-केतु - ॐ ह्रीं गमो लोए सव्वसाहूणं ।
प्रत्येक ग्रह की शान्ति के लिए उपरोक्त मंत्र के दस हजार जाप करने चाहिए और
सर्व ग्रहो की शान्ति के लिए 'ॐ ह्री बीजाक्षर' पहले लगाकर पच नमस्कार मन्त्र के दस हजार जाप करने चाहिए ।
एते पचपरमेष्ठी महामन्त्र प्रयोगाः ॐ नमो अरिहउ भगवउ बाहुबलिस्स पहरावरणस्स अमले विमलेम्मिल नारणपयासेरिग ॐ गमो सन्व भासइ श्ररिहासव्व भासइ केवलि ए सव्व - वयएण सव्व सव्व होउ मे स्वाहा । आत्मान शुचि कृत्य वाहु युग्म सम्पूज्य कायोत्सर्गेण शुभाशुभ वति । इति
ॐ गमो अरहंताणं ह्रां स्वाहा ।
ॐ णमो सिद्धाणं ह्रीं स्वाहा । ॐ गमो आयरियाणं ह्रस्वाहा ।