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लघुविद्यानुवाद
ॐ गमो भगवदिए सुयदेवयाए सव्वसुएमायाएगीय सरस्सइए सव्व नाइरिण सवण वगो ॐ अवतर अवतर देवि मम्शरीरं पविसपुछं तस्स पविस सवजगमय इरिये प्ररहंतसिरीए परमेसरी ए स्वाहा ।
विधि - ये मन्त्र १०८ बार खड़ी मन्त्री हाथ मे राखिजे ये को देखिजे ।
व्यापार-लाभ व जयदायक मन्त्र
ॐ ह्रीं श्रीं श्रर्हसि श्रा उ सा अनाहतविद्यायै अर्ह नमः । विधि - यह मन्त्र दिन मे तीन बार जपिये । १०८ बार जपे तो व्यापार मे लाभ हो सर्वत्र जय पावे |
भयनाशक मन्त्र
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ॐ
नो सिद्धाणं पंचणं ।
विधि :- यह मन्त्र १०८ बार दिवाली के दिन जपिये, जीवे जगता इस थकी भय टले । सर्व रोगनाशक मन्त्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं क्लौ क्लौ प्रर्ह नमः ।
विधि : - यह मन्त्र त्रिकाल बार १०८ बार जपे, सर्व रोग जाय ।
विरोधकारक मन्त्र
सिउ सा अनाहत विजे ह्रीं ह्र असं कवि खं
ॐ ह्रीं श्री
कुरु कुरु स्वाहा |
विधि - यह मन्त्र सात दिन १०८ बार जपे । मसान के अङ्गारे की राख घोलकर कौवे के । भोज-पत्र पर लिखे । जिसका नाम लिखे ।
पङ्ख से
सर्वसिद्धि व जयदायक मन्त्र
ॐ हन्त सिद्ध प्रायरिय उवज्झाय सव्वसाहू, सव्व धम्मति त्थय राणं ॐ गमो भगवईए सुयदेवयाये शांति देवयाणं सर्व पवयणं देवयाणं दसराह दिसा पालाणं पंचलोग पालाणं । ॐ ह्रीं अरहन्त देवं नमः । (श्री सर्व जुमोहं कुरु कुरु स्वाहा ) पाठन्तरे ।
विधि
- यह मन्त्र १०५ बार जपे उत्तम स्थान मे । सर्वसिद्धि और जयदायक है । सात वार मन्त्र पढकर कपड े मे गाठ देने से चोर भय नही होता, सर्प भय भी नही होता ।