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________________ लघु विद्यानुवाद ५३ पुत्र - सम्पदा प्राप्ति मन्त्र ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ह्रीं प्रति श्राउसा चुलु चुलु हुल हुलु मुलु मुलु इच्छियं कुरु कुरु स्वाहा । (त्रिभुवन स्वामिनी विद्या । ) विधि – जब यह मन्त्र जपने बैठे तो आागे धूप जला कर रख लेवे और यह मन्त्र २४ हजार फूलो पर, एक फूल पर एक मन्त्र जपता जावे । इस प्रकार पूरा जपे । घर मे पुत्र की प्राप्ति हो और वश चले | नोट :- धन, दौलत, स्त्री, पुत्र, मकान सर्व-सम्पदा की प्राप्ति इस मन्त्र के जाप से होवे । राजा तथा हाकिम वशीकरण मन्त्र ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं, ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं । ॐ ह्रीं मो आयरियाणं । ॐ ह्री रामो उवज्झायाणं । ॐ ह्रीं गमो लोए सव्वसाहूणं । श्रमुकं मम वश्यं कुरु कुरु वषट् । विधि 'अमुक - जब किसी राजा या हाकिम या बड़े आदमी को अपने वश मे करना हो तो, याने मेरे पर किसी तरह मेहरबान हो तो शिर पर पगडी या दुपट्टा जो बाँधता है यह २१ बार पढकर उसके पल्ले मे गॉठ देवे । जब मन्त्र पढना शुरू करे, जब पल्ला हाथ मे लेवे । २१ बार यह मन्त्र पढकर गाँठ देवे और शिर पर उस वस्त्र को बाँधकर उसके पास आवे तो वह मेहरबानी करे, मित्र हो । जब मन्त्र पढे अमुक की जगह उसका नाम लेवे । राजा प्रजा सव वश्यम् वशीकरण (मन्त्र) ॐ णमो अरहंताणं । अरे (रि) अर (अरि ) रिमोहिणी अमुकं मोहय मोहय स्वाहा । विधि :—इस मन्त्र से चावल तथा फूल पर मन्त्र पढकर जिसके सिर पर रखे वह वश मे हो । १०८ बार स्मरण करने से लाभ होता है । सर्प - भय निवारण मन्त्र ॐ अर्हसि श्रा उसा अनाहत ( विद्यायै ) जयि श्रर्ह नमः । विधि - यह मन्त्र नित्यप्रति टक ३ गुरणीजे । बार १०८ दिवाली दिन गुरणीजे । जीवनपर्यन्त सर्प भय न हो ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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