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भैरव पद्मावती कल्प
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मन्त्री (साधक) के लक्षण
निर्जितमदनाटोपः प्रशमितकोपो विमुक्तविकथालापः । देव्यर्चनानुरक्तो जिनपदभक्तो भवेन्मंत्री ॥ ६ ॥
भा० टी० - जिसने कामदेबको जीत लिया हो और जो शांत क्रोधवाला, विकथाओंका त्यागी, देवोके पूजनका प्रेमी और श्री भगवान् जिनेन्द्रदेव के चरणोंका भक्त हो वही मन्त्री हो खकता है ॥ ६ ॥
मन्त्राराधनशूरः पापविदूरो गुणेन गम्भीरः ।
मौनी महाभिमानी मन्त्री स्यदीदृशः पुरुषः ॥ ७ ॥ भा० टो०- जो मन्त्र सिद्ध करनेमें नीर, पाप रहित, गुणों से गम्भीर, मौनी और महा अभिमानी हो, ऐसा पुरुष मन्त्री हो सकता है ।
गुरुजन हितोपदेश गततन्द्रो निद्रा परित्यक्तः । परिमितभोजनशीलः स स्यादाराधको देव्याः ॥ ८ ॥
भा० टी० - जो गुरुजनोंसे उपदेश पाया हुआ, तन्द्रा रहित, 'निद्राको जीतनेवाला, और कम भोजन करनेवाला हो वही देवीका आराधक हो सकता है ।
निर्जितविषयकषायो धर्मामृतजनितहर्षगतकायः । गुरुवर गुणसम्पूर्णः स भवेदाराधको देव्याः ॥ ९ ॥
भा० टी० - जिसने विषय और कषायोंको जीत लिया हो, जिसके शरीर में धर्मरूर अमृतसे उत्पन्न हुआ हर्ष भरा हो तथा जो सुन्दर२ गुणोंसे पूर्ण हो वह देवीका आराधक होता है ||९|| शुचिः प्रसन्नो गुरुदेवभक्तो दृढव्रतः सत्यदयासमेतः । दक्षः पटुर्बीजपदावधारो मन्त्री भवेदोदृश एवं ढोके ॥१०॥