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TAUNAL
श्री मलिषेणसूरिविरचितभैरव पद्मावतीकल्प
भाषाटीका सहित
प्रथम परिच्छेद
मंगलावरण कमठोपसर्गदलनं त्रिभुवननाथं प्रणम्य पार्श्वजिनम् । वक्ष्ये ऽभीष्टफलप्रदभैरवपद्मावती कल्पम् ॥ १॥ भाषा टीका-कमठके किये हुये उपसर्गको नष्ट करनेवाले, तीन लोकके स्वामी, पार्श्वनाथ भगवानको नमस्कार करके अभीष्ट फल की सिद्धिको देनेवाले भैरव पद्मावतीकल्पको कहूंगा।
पाशफलवरदगलवशकरणकरा पद्मविष्ठरा पद्मा।
सा मां रक्षतु देवी त्रिलोचना रक्तपुष्पाभा ।। २ ।। भा० टी०-हाथोंमें पाश, फल, घरदान और अंकुशचाली, कमरके भासनवाली, तीन नेत्रपाली और रक्त पुष्पके समान कान्तिवाली देखी पद्मावती मेरी रक्षा करें।