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TA भैरव पद्मावती कल्प।
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अथ भुवनेश्वरी शतम् मुवनेश्वरी भूषणा च, भुबना मूमिफ प्रिया । भूमि गर्भा भूपवद्या मुजंगेश प्रिया भगा ॥१॥ मुजङ्ग भूषणा भोगाः भुजङ्गाकारसायिनी । अवता भिहता भीम, भूमि भीमा ददासिनी ॥ २ ॥ भारती भगति गा, भगनी लोग मन्दिरा । भद्रिका भद्रि रूपा च, भूतात्मा मूत मंजिना ।। ३ ।। भवानी भैरबी भीमा, भामिनी भ्रमनाशिनी । मुजंगिनी भुअंडी च, मेदिनी सूमिभूषणा ।। ४ ॥ भिन्ना भाग्यवती भासा, मोगिनी भोगवल्लभा । मुक्तिदा भक्तिग्राहा च, भवसागरतारिणा !॥ ५ ॥ भारती भास्वरीमूर्ति, भू तिक्षा मूतिबर्द्धिनी। भाग्यदा भोग्यदा भोग्या, भाविनी भवनाशिनी ॥ ६॥ भिन्ना भट्टारका भीरू, भ्रामरी भ्रमरी अना। भट्टिनी भांडदा भांडा, भल्लाकी भूरि भाजिनी ।। ७ ।। भूमिगा भुमिदा भाषा, भक्षिणी भृगुभूगिनी । भाराक्रांता भिनंदा च, मंजिनी भूमिपालिनी ।। ८॥ भद्रा भगवती मार्गा, बत्सला भगशालिनी। खचरी खड्गहस्ता च. खड्गिनी खलमर्दिनी ॥९॥ खड्वांगधारिणी खड्गा, खडगाखगवाहिनी । 'पद् चक्रभेद विख्याता, खगपूजा खगेश्वरी ॥ १० ॥ लांगली ललना लेखा, लेषना ललिता लता। लक्ष्मी लक्ष्मीमति लक्ष्म्या, लाभदा लोभ पर्जिता ॥ ११॥
इति भुवनेश्वरी शतं ॥ ९॥