SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 112
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ९२] ॐ भैरह पनाती इस यंत्र संख्या ४३-युद्ध में अद्धेन्दुत्रिशूल चक्र RUTI MANORORAKHAND mom LOLLL चिनिया भा० ट ०-एक भई पन्द्राकार रेस.के ऊपर तीन त्रिशूल बनाकर उनमें भली प्रकारसे सत्ताइसों नक्षत्र इस प्रकार लिखें कि अमावस्या और प्रतिपदळे योगके दिन चन्द्रमा जिस नक्षत्र में हो। स्कृत्वा तदादि विगणप्य युद्धे विद्यास्त्रिशूलाग्रगतेषु मृत्युम् । मार्तण्हसंख्येषु जयं च तेषु पराजयं षटसु बहिस्थितेषु ॥३१॥ मा. 80-उको निम्नलिखित यन्त्रमें १ के स्थान पर लिखकर उससे आगेके नक्षत्रों के अंस क्रमसे लिस दे।। मा० टी-युद्धको जाते हुये मनुष्यका जन्म नक्षत्र इनमें से जिस स्थानपर हो उससे फल मानना चाहिये। यदि जन्म
SR No.009990
Book TitleBhairav Padmavati Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMallishenacharya, Chandrashekhar Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages160
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy