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सत्तमस्म अङ्गस
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महाफलं, गच्छामि णं जाव* पज्जुवासामि” एवं सम्पेहेइ, २त्ता रहार सुचप्पावेसाई जाव अप्पमहग्घाभरणालवियसरीरे सयाओ गिहारा पडिणिक्खमइ, रत्ता सकारेण्टमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं मणुस्सवग्गुरापरिखित्ते पायविहारचरेणं वाणियगाम३ नयर मन मज्झेणं निग्गच्छ इ २त्ता जेणामेव५ दृइपलासे६ चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, २त्त तिवृत्ता
आयाहिणं पयाहिणं करेइ, २त्ता वन्दइ नमसइ जाव पज्जुवासई ॥ १० ॥
तए णं समणे भगवं महावीरे आणन्दप्स गाहा
* See footnote s on the preceding page. + See the rest in Kap. $$ 66, 101, Ov. $ 17.
१A B add जाव । २A पज्जवासामि । ३ राहाये । ४ A सुधपवे०, C प्य वेसा । ५A B C D E om. Bom. भरणाल कियसरीरे, D E om. लशियसरीरे। ७ B सहातो, D सातो, E साओ। ८C पडिणिगमइ, E पडिनि | EC कारिटिक०, A D E कारंट। १० C धारि०। ११ C D E माण ० । १२ । विहारे चा० | B पाद०, D पाइ० । १३ । ग्ग मं । १४ Bणगरं। १५ C जेणेव । १६ A E दूय० । १७ B D E om. यायाहिणं पयाहिणं करेइ २त्ता। १८ । पज्जवासइ ।