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सद्धर्मसंरक्षक देवों की प्रतिमाओं का उत्थापन कर स्थानकरूप में बदल कर उन प्रतिमाओं को न जाने कहाँ लेजाकर समाप्त कर दिया ? इस प्रकार अनेक प्रकार की क्षतियों से ग्रसित पंजाब देश में पूज्य बूटेरायजी से पहले के जो जिनमन्दिर बच पाये थे उनका विवरण यहाँ देते हैं। सद्धर्मसंरक्षक से पहले समय के जिनमंदिर नगर विवरण
परिवर्तन x (१) गुजरांवाला श्रीऋषभदेव का मंदिर मूर्तियाँ श्रीचिंतामणि
पार्श्वनाथ के मन्दिर में
विराजमान की गयी। x (२) स्यालकोट श्रीपार्श्वनाथ का और मूर्तियाँ उत्थापन करके शांतिनाथ का मंदिर स्थानक बना लिया
गया। (३) अमृतसर वि०सं० १६५० में यहां यह मंदिर नहीं था ।
के जैन मन्दिर का उसके बाद में श्रीसमयसुन्दरजी ने श्रीशीतलनाथजी का अपने स्तवन में वर्णन मंदिर विद्यमान था।
किया है। (४) जंडियाला गुरू श्रीपार्श्वनाथजी का मंदिर विद्यमान है। (५) वेरोवाल श्रीविमलनाथजी का विद्यमान है।
मंदिर
१. यह चरित्र लिखते समय (वर्तमान में) अनेक नगरों में नये जिनमंदिरों का निर्माण हो चुका है। अनेक स्थानों में पुराने जिनमंदिर नहीं हैं। अत: यह सूचि पूज्य बूटेरायजी से पहले के विद्यमान मंदिरों की मात्र है।
नोट- (x) निशानवाले नगर वि० सं० २००४ (ई० स० १९४७) में पाकिस्तान में चले गये हैं।
Shrenik/DIA-SHILCHANDRASURI / Hindi Book (07-10-2013)/(1st-11-10-2013)(2nd-22-10-2013) p6.5
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