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पदाला के जन्म-उत्सव पर थोड़ी सी बातें आपसे कहूं, इससे मुझे आनंद
• होगा। आनंद इसलिए होगा कि आज मनुष्य को मनुष्य के ही हाथों
से बचाने के लिए सिवाय महावीर के और कोई रास्ता नहीं है। मनुष्य को मनुष्य के ही हाथों से बचाने के लिए महावीर के सिवाय और कोई रास्ता नहीं है।
ऐसा कभी कल्पना में भी संभव नहीं था कि मनुष्य खुद के विनाश के लिए इतना उत्सुक हो जाएगा। इतनी तीव्र आकांक्षा और प्यास उसे पैदा होगी कि वह अपने को समाप्त कर ले, इसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। लेकिन विगत पचास वर्षों से मनुष्य अपने को समाप्त करने के सारे आयोजन कर रहा है! उसकी पूरी चेष्टा यह है कि एक-दूसरे को हम कैसे समाप्त कर दें, कैसे विनष्ट कर दें! पिछले पचास वर्षों में दो महायुद्ध हमने लड़े हैं और दस करोड़ लोगों की उसमें हत्या की है। और ये युद्ध बहुत छोटे युद्ध थे, जिस तीसरे महायुद्ध की हम तैयारी में हैं, संभव है वह अंतिम युद्ध हो, क्योंकि उसके बाद कोई मनुष्य जीवित न बचे। मनुष्य ही जीवित नहीं बचेगा, वरन कहा जा सकता है कि कोई प्राण जीवित नहीं बचेगा।
मैं एक छोटी सी, एक छोटी सी गणना आपको दूं-अगर सौ डिग्री तक पानी गर्म किया जाए और उस गरम उबलते पानी में आपको हम डाल दें तो क्या होगा? शायद आपका बचना मुश्किल हो। अगर हम पंद्रह सौ डिग्री तक लोहे को गरम करें तो वह पिघल कर पानी हो जाएगा। उस पिघले हुए लोहे में अगर हम आपको डाल दें तो क्या होगा? आपका बचना असंभव हो जाएगा। अगर हम पच्चीस सौ डिग्री तक लोहे को गर्म करें तो वह भाप बन कर उड़ने लगेगा। उस पच्चीस सौ डिग्री गर्मी में किसी भी प्राणी के बचने की कोई संभावना शेष नहीं रहेगी।
लेकिन यह कोई गर्मी नहीं है, यह कोई उत्ताप नहीं है। एक हाइड्रोजन बम के विस्फोट से जो गर्मी पैदा होती है, वह होती है दस करोड़ डिग्री। दस करोड़ डिग्री की गर्मी में किसी तरह के प्राणी के बचने की कोई संभावना नहीं होगी। और ऐसे हाइड्रोजन बम आज जमीन पर पचास हजार की संख्या में निर्मित हैं। ये पचास हजार उदजन बम इस जमीन को सात बार मिटाने में