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तो जीसस ने कहा कि वह पादरी तो मेरा है। यहूदियों के पादरियों ने मुझे फांसी दी थी। यह तो अपना आदमी है। यह तो मेरा-वह तो कहता है, सरवेंट ऑफ जीसस क्राइस्ट-वह तो मेरा सेवक है। उन लोगों ने कहा कि तुम गड़बड़ आदमी मालूम होते हो, तुम्हारा दिमाग खराब है। तभी पादरी आ गया वहां पर। बच्चे पत्थर फेंक रहे हैं, कोई छिलके फेंक रहा है, लोग हंसी उड़ा रहे हैं, कि यह कौन अभिनेता आ गया है जीसस क्राइस्ट बन कर। लेकिन मालूम बिलकुल जीसस क्राइस्ट जैसा होता है!
पादरी आ गया, उसके लिए सम्मान से लोगों ने दरवाजा दे दिया। भीड़ छंट गई। लोग उसके पैरों में झुकने लगे। जीसस क्राइस्ट सामने खड़े हैं, उनके पैर में एक आदमी नहीं झुका है। यह पादरी जीसस क्राइस्ट के नाम पर उनका एजेंट है, स्वयं निर्मित, क्योंकि जीसस क्राइस्ट ने किसी को अपना एजेंट तय नहीं किया। यह खुद, सेल्फ-अपॉइंटेड, उसके लिए लोगों ने दरवाजा छोड़ दिया। लोग भीड़ झुक कर हाथ-पैर जोड़ने लगे। और उसने जीसस को नीचे से ऊपर तक देखा और कहा, बदमाश नीचे उतर! यह क्या ढोंग रच रखा है?
जीसस कहने लगे, तुम भी नहीं पहचानते? भीड़ नहीं पहचानती तो ठीक। उनको पसीना आ गया कि यह तो मुश्किल हो गई। मैं कहां आ गया, मैं तो सोचता था अपने लोग हैं। वह आज प्रीस्ट है, वह सबसे बड़ा पुरोहित है जेरुसलम का। तुम भी नहीं पहचानते मुझे? तू भी नहीं पहचाना मुझे? उस आदमी ने कहा, मैंने ठीक से पहचान लिया। नीचे उतरो! और चार आदमियों को कहा, पकड़ो इस आदमी को। जीसस क्राइस्ट एक बार आ चुके। अब उनके आने की न कोई जरूरत है, न कोई सवाल है।
अभी एक आदमी आकर खड़ा हो जाए और कहे कि मैं महावीर हूं। जैनी कहेंगे, पकड़ो इसको इसी वक्त ! क्योंकि महावीर हो चुके, अब कोई तीर्थंकर नहीं हो सकता। अंतिम तीर्थंकर हो चुका। ईश्वर का पुत्र आ चुका एक बार, अब दुबारा आने की क्या जरूरत है! मुसलमान कहते हैं कि मोहम्मद के बाद अब कोई पैगंबर नहीं। क्रिश्चियंस कहते हैं जीसस के बाद अब कोई ईश्वर का पुत्र नहीं। जैन कहते हैं महावीर के बाद अब कोई तीर्थंकर नहीं।
___ चार आदमियों ने पकड़ लिया है उसे और जाकर चर्च की एक कोठरी में बंद कर दिया, एक अंधेरी कोठरी में। जीसस तो बड़े हैरान हो गए कि क्या फिर से सूली लगेगी! क्या अपने ही लोग अब की बार सूली लगाएंगे। पहली सूली फिर भी समझने जैसी थी, क्षम्य थी। लेकिन इस सूली की तो व्याख्या करना भी मुश्किल हो जाएगा। क्या अपने लोग भी सूली लगाएंगे!
आधी रात बीत गई है। फिर चर्च के पादरी ने कोठरी का द्वार खोला। अंधेरे में लालटेन लेकर भीतर गया। क्राइस्ट की आंखों से आंसू टपक रहे हैं। उस पादरी ने लालटेन नीचे रखी। गिर कर क्राइस्ट के पैर छुए और कहा, क्षमा करें!
जीसस ने कहा, क्या तू मुझे पहचान गया? अंततः पहचान गया न!
उस पादरी ने कहा, पहचान तो मैं वहां भी गया था। लेकिन भीड़ में स्वीकार करना उचित नहीं है। पहचान तो मैं तब भी गया था। लेकिन बाजार में पहचानना ठीक नहीं है। अकेले में ठीक है। आपके आने की कोई जरूरत नहीं है। हम आपकी तरफ से अच्छी तरह से काम चला रहे हैं। ठीक से काम चला रहे हैं। अठारह सौ साल में हमने मुश्किल से व्यवस्था जमाई
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