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तो शायद हमारी आत्मा को भी पंख मिल सकते हैं। और हम भी वहां पहुंच सकते हैं जहां कोई भी कभी पहुंचा है।
मेरी बातों को इतने प्रेम और शांति से सुना, उसके लिए बहुत-बहुत अनुगृहीत हूं। और अंत में सबके भीतर बैठे परमात्मा को प्रणाम करता हूं। मेरे प्रणाम स्वीकार करें।
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