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महावीर . परिचय और वाणी वह खडित हो चुकी थी। ब्राह्मण गुरु हो गया था, वह अपने को ज्ञानी समझने लगा था, वह सबके ऊपर बैठ गया था। इस परम्परा को तोड देना जरूरी या। इसे ही एक प्रतीक के रूप में कहा गया है कि ब्राह्मणी का गर्भ अव महावीर-जैसे व्यक्ति को पैदा करने में असमर्थ हो गया था । ब्राह्मण की दिशा से महावीर जैसे व्यक्ति के होने की सम्भावना न थी । अत उन दिनो जो मवर्प हुआ, वह बहुत गहरे मे ब्राह्मण और क्षत्रिय के मार्ग का सपर्प था।
यह भी सोचने की बात है कि जैनो के चौबीसो तीर्थकर क्षत्रिय है। असल मे वह मार्ग ही क्षत्रिय का मार्ग है। लोग पूछते है कि क्या क्षत्रिय के अलावा और कोई तीर्थकर नहीं हो सकता नहीं हो सकता। चाहे वह वेटा ब्राह्मणी के ही गर्भ से क्यो न पैदा हो, वह होगा क्षत्रिय ही। तभी वह उस मार्ग पर जा सकता है । वह मार्ग आक्रमण का है, विजय का है और वहाँ मापा आक्रमण और विजय की है।
दूसरी बात जो लोग निरतर पूछते हैं, यह है कि क्या गरीव का बेटा तीर्थकर नही हो सकता? इस सम्बन्ध मे ध्यान रहे कि तीर्थकरो मे मब के सब राजपुत्र थे-क्षत्रिय और राजकुल के थे । यह भी बहुत अर्थपूर्ण है कि जिसने अभी इस ससार को नहीं जीता, वह उस ससार को कैसे जीत सकता है ? राजपुत्र इस अर्थ के सूचक है कि जीतनेवाला कुछ भी जीतेगा और जब वह इस (ससार) को जीत लेगा तब उसकी नजर उस ससार की तरफ उठेगी। जब वह इस लोक को जीत लेगा तब उस लोक को जीतेगा। जीत के मार्ग मे पहले यही लोक पडता है। ब्राह्मण इस लोक मे भी भिक्षा मांगेगा, उस लोक मे भी। वह मानता ही यह है कि जो मिलना है वह प्रभु की कृपा से ही मिलेगा। उसके लिए आक्रमण का प्रश्न ही नहीं उठता। वह है मांगनेवाला, क्षत्रिय है जीतनेवाला । एक दान और दया मे लेगा; दूसरा दुश्मन को समाप्त करके लेगा । इसलिए महावीर के जन्म की कथा वडी मीठी है। वह यह बताती है कि ब्राह्मण की जो कोख थी, वह वांझ हो गई थी। उसमे महावीर-जैसा व्यक्ति पैदा नही हो सकता था। ब्राह्मण का मार्ग कुठित हो गया पा, उसकी परम्परा क्षीण हो गई थी। उसके विरोध मे बगावत जरूरी थी । वह बगावत क्षत्रिय ही कर सकते थे, क्योकि गावत हमेशा ठीक विपरीत से ही आती है । इनी प्रकार महावीर और वुद्ध द्वारा छोडी गई परम्परा भी काल-क्रम से-डेढ हजार वर्पो मे---सूख गई और जड हो गई। तब विपरीत ने फिर विद्रोह किया। ___ कहने की जरूरत नहीं कि गाथाओ ने जो प्रतीक चुने हैं वे बड़े अर्थपूर्ण है। इन प्रतीको को जो जडता से, तथ्यो की भाँति, पकड लेता है वह बिलकुल भटक जाता है।
महावीर के सम्बन्ध मे अनेक अनेक गाथाएं प्रचलित है। ये सव की सब प्रतीकात्मक हैं, सत्य है । और कि ये सत्य है, इन्हें गाथाओ मे-'मिथ' मे-~-कहा गया है और इनकी भापा प्रतीको से भरी है। याद रहे कि सत्य को तथ्य की भाषा