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महावीर : परिचय और वाणी
मलीनता अपने मे लीन होने का पर्यार । महावीर पाहते हैं : मीन तो जाना, मान में लीन हो जाना ताकि दूगग बने ही नहीं। उनका एक बल पास गरे आत्मरमण-~-अर्थात् अपने मे ही रमना । महावीरो निनो दे। ऐगा प्रतीत होगा कि वे एक ऐने फूल है जिनकी पगलिया बन्द हो गई। महानोर अपने भीतर है। जैसे फूल के भीतर कोई भंवरा बन्द हो गया हो। उनकी गारी नेतना नलीन हो गई है अपने मे।