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महावीर : परिचय और वाणी परेशान नही कर सकते, क्योकि सात-आठ दिनो के बाद भूख बन्द हो जाती है, शरीर दूसरे यत्र पर चला जाता है-वह भीतर से भोजन पाने लगता है। ___ मनुष्य के हाथ मे दो यत्रो के बीच मे ठहर जाने का जो सर्वाधिक मुविधापूर्ण और सरलतम प्रयोग है, वह है अनशन । लेकिन अगर आप अभ्यास कर ले तो फिर कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। यह प्रयोग आकस्मिक है। अचानक आपने भोजन नहीं लिया और जब आपने भोजन नही लिया तव न तो ध्यान रखें भोजन का, न उपवास का, वस, ध्यान रखें उस मध्यम विन्दु का कि वह कब आता है-आँखें बद कर ले
और भीतर ध्यान रखे कि शरीर का यत्र कब स्थिति बदलता है। तीन दिन मे, चार दिन मे, पाँच दिन मे, सात दिन मे। कभी तो स्थिति बदल ही जाएगी। और जब स्थिति बदलती है तब आप विलकुल दूसरे लोक में प्रवेश करते हैं। आपको पहली दफा यह पता चलता है कि आप शरीर नही है । न तो वह शरीर जो अब तक काम कर रहा था और न यह जो अव काम कर रहा है। दोनो के बीच मे एक क्षण का यह वोध भी कि मैं शरीर नही हूँ, मनुप्य के जीवन मे अमृत का द्वार खोल देता है । ' (८-९) लेकिन महावीर के पीछे जो परम्परा चल पड़ी है, वह अनशन का अभ्यास कर रही है। जो जितना अभ्यासी है उसे उतना ही अधा समझिए । अभ्यास अधा कर देता है। / भोजन और अनशन के बीच जो सक्रमण है, दाजिशन है, वह बहुत सूक्ष्म और वारीक है, बहुत नाजुक है । जरा से अभ्यास से आप उसको चूक जाएंगे। इसलिए अनशन का भूलकर अभ्यास न करे। कभी अचानक उसका प्रयोग बहुत कीमती सिद्ध होगा।
(१०) महावीर जानते है और जिन्होने भी इस दिशा मे प्रयोग किया है वे जानते है कि इस शरीर से आपका जो सम्बन्ध है, वह भोजन के द्वारा है। इस शरीर और आपके बीच जो सेतु है, वह भोजन है। अगर आपको यह जानना है कि मैं यह शरीर नही हूँ तो उस क्षण मे जानना आसान होगा जव आपके शरीर में भोजन बिलकुल नहीं है। जब जोडनेवाली कडी विलकुल नही है तभी यह जानना आसान होगा कि मैं शरीर नही हूँ। भोजन ही सयोजक कड़ी है, वही जोडता है। इसलिए भोजन के अभाव मे ९० दिन बाद सम्बन्ध टूट जाएगा, आत्मा अलग हो जाएगी, शरीर अलग हो जाएगा। तो महावीर कहते है कि जब तक शरीर मे भोजन पडा है, तब तक जोड है। उस स्थिति में अपने को ले जाओ, जव शरीर मे बिलकुल भोजन नहीं हो। तभी तुम आसानी से जान सकोगे कि तुम शरीर से अलग हो, पृथक् हो। तभी तादात्म्य टूट सकेगा।
(११-१२ ) याद रहे कि शरीर मे जितना ज्यादा भोजन होता है, उतना ही ज्यादा शरीर के साथ तादात्म्य भी होता है। इसलिए भोजन के बाद नीद तत्काल