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महावीर परिचय और वाणी
२६३ मही हो सकता है। अगर आप ही होते तो सोचिए आप गोशाला के पीछे जाते कि महावीर के पीछे ? मरा सयार है कि आप गोशारक के पोछ जाते । जि हाने दसा कि अनाग्रहपूण होना बडे माहस की बात है वे अपन बुद्धिमान लोग ही महावीर के पास आ सके । मैं बुद्धिमान उसे बहता है जो स य के सम्म प म अनाग्रह पूर्ण है। महावीर की अहिंसा का जो अन्तिम प्रयोग है वह अनाग्रहण विचार है. अथात् विचार भी मेरे नहा हैं । जिम विवार के साथ आर 'मेरे ला देंग, उसम भाग्रह जुड़ जायगा।