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महावीर : परिचय और वाणी
लेकिन अच्छे को ओढ लेना खेल है, कन्वीनिएण्ट है । अनैतिक जगत् में नैतिक होना तपश्चर्या है, एक बुरे समाज मे नैतिक होना कठिनाई मोल लेना है । चारो तरफ से चोटे पडती है, इसलिए सुविधापूर्ण है वस्त्र ओढ लेना । नैतिकता के वस्त्र ओढो बाजारो मे, सार्वजनिक स्थानो मे ।
इसलिए हमारे पास दो तरह के चेहरे है-प्राइवेट फेसेज और पब्लिक फेसेज । हमारे ऊपर नकली चेहरो की इतनी परते है और अनन्त जन्मो की चोरी इतनी गहरी और इतनी लम्बी है कि हमारा असली चेहरा - निजी चेहरा - विलकुल छिप-सा गया है । एक मुखौटा उतारो तो दूसरा उसके नीचे है । प्याज की तरह हो गए है हम सब । हमने अनन्त जन्मो मे इतने व्यक्तित्वो की चोरी की है और इतने मुखौटे ओढे है कि हमारा अपना तो कोई चेहरा ही नही रह गया है । अगर हमारे छिलके उतारे जाएँगे तो आखिर मे शून्य रह जायगा । उसी शून्य से अचोरी मे गति होगी, उसके पहले नही | अगर हमे यह पता चल जाय कि हमारा कोई चेहरा ही नही है तो बडी उपलब्धि है यह ।
चोरी से बचने की कोशिश का नाम अचोरी नही है । जो चोरी से बचा है वह भी चोरी से बचा हुआ चोर है, जिसने चोरी की है वह चोरी मे फँस गया चोर है । दोनो ही चोर है । एक की चोरी व्यवहार तक चली गई है, दूसरे की चोरी मन तक रह गई है । लेकिन अचौर्य का सम्बन्ध असली चेहरे से है, अपने चेहरे से है। क्या हमारे पास अपना चेहरा है ? पति के सामने पत्नी को कुछ और होना पडता है अपने पडोसियो के सामने कुछ और । तत्काल चेहरा बदल जाता है । अपने मालिक के सामने हम कुछ और होते है और अपने नौकर के सामने कुछ और। मालिक के सामने हम पूंछ हिलाते हुए होते है और नौकर के सामने उद्दड । कई दफे बहुत लोगो के बीच हम गिरगिट हो जाते है । चेहरो की यह बदलाहट तनाव पैदा करती है । जिस आदमी के पास एक चेहरा है उसको तनाव नही होता । तनाव सदा होता है चेहरो को बार-बार बदलने से । लेकिन हम बहुत होशियार लोग है । गियर बदलने के परपरागत तरीके की जगह हमने अब सरल तरीको का आविष्कार किया है । अव मोटर गाडियो मे ऑटोमैटिक गियर होते है । हम भी अपने चेहरे बदलते नही, हमारे चेहरे स्वत बदल जाते है। चेहरे को बदलने के लिए हमने आटोमैटिक गियर खोज निकाले है। नौकर आया कि चेहरा बदला । मालिक आया कि चेहरा बदला । पत्नी आई कि चेहरा और हुआ । प्रेयसी आई कि चेहरा और हुआ । पुराने आदमी को धार्मिक होने मे वडी सुविधा थी । उसके पास कन्वेन्शनल गियर थे । उसको चेहरा बदलना पडता था, इसलिए उसे यह भी पता चलता था कि मै अपना चेहरा बदल रहा हूँ । आधुनिक सभ्यता ने कन्वेन्शनल गियर हटा दिए है । सभ्य आदमी और असभ्य आदमी मे जो फर्क है वह मेरी दृष्टि मे कन्वेन्शनल गियर और ऑटो