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महावीर परिचय और वाणी
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म हो धोखा देना पड़ता है । पाप अपन में हारा हुआ है। हिंसा जीन नहीं राक्ती । लेकिन दुनिया से हिमा नहीं मिटती, क्यादि हमने हिमा में बहुन से नहर चेहरे सोज निकाले हैं।
सबसे पहली हिंसा दूसरे को दूसरा मानने से शुरू होता है । जस ही में रहता हूँ जादूगर हैं बने हो में आपके प्रति हिसर हो गया। अगर म दूसरे य प्रति अहिमर हा सपत है ऐसा में ही हिंसा शुरू हो गई।
हस होना असम्भव है। हम सिर्फ अपने प्रति ही हमारा स्वभाव ह । वस्तुत दूसरे को दूसरा स्वीकार माना यथन है कि यह जा दूसरा है यह नख है । दूसरा नख नहीं है, दूसरा दूसरा समझा भ नरा है। जिस क्षण हम दूसरा अपना समते हैं उसी क्षण र और उसके बीच जा धारा बहती है यह अहिमा की है। दूसरे को अपना समान या क्षण ही प्रेम का क्षण है !
गहरे में
दूसरा ही बा रहता है ।
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बेटा भी दूसरा है, चाहे कितना मा
रविन जिसे हम अपना समझते हैं वह भी पत्नी भी दूसरी है चार पितरी मा अपनी हो अपना हो । अपना वहा म भा दूसरे का भाव स मोजूद है। इसलिए प्रेम भी पूरी तरह अहिसब नहीं हो पाता। प्रेम अपर ढंग से हिंसा करता है। पनी अपन पनि प्रेमपूर्ण ढंग से मताती है। जब ना प्रेमपूर्ण होता वडा सुरभित हो जाता है । arrest after मित्र जाती है यानि हिमा अहिना वा बेहरा आउला है। विद्यार्थी मागताता है और रहता है तुहिन लिए हा सता र हूँ । एनिस व्यक्ति वा हिंसा के प्रति जागना हा, उस पर जाना प्रतिपा जवसाय प्रति जागता होगा | भरा सा है कि दुनिया में अपना बनान वा जितनी मस्याएं हैं सब की गय हिरान हैं। परिवार से ज्यादा हिमा और वा सरापी, उसी हिंसा बड़ा गुम है। इसलिए अगर सयामी परि यार छोड़ देना पड़ता था तो उसका कारण था-मनमहिमा से बाहर है। नाना । यह जानना from का एक मनम जाल है जो अपना पहना कर रह हैं। उनसे भी मुहिम में ही पर रह है। परिवारका हा हुआ सरगमाज है गाज न तिना हंगामा है उगरा हिसाब गाना पटिन है तो यह है समाज न व्यक्ति ध्यान रहि जब आप रीमान हूँ तब आप हिंग
परावनराव मारा । ए मीरा वरवरा है। जब जना र रियो परिसर र
शरद है । हिया मुगलमा हिप है । ममा यति हा महिना सम्भावना है। समाज हा
व्यवहार करते है या आप मा अगर मनमा
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