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महावीर परिचय नार याणी
१४९ आपन यह कहानी सुनी होगी कि एर हाथी के पास पांच अर्थ सटे हो गए। जिमन हापो वे पर हुए उसन यहा वि हायो राम्भे यो तरह है परे पे पक्ष मी तरह है, जिगन पान छा उमन यहा कि रायी गहूँ साल परनवार सूप की तरह है। दस प्रकार पांचा अधान पिने अपन दाव दिए । महावीर महत हैं कि उनादप्टि परम्पर विरापी नहीं है। च पूछिए ता गिहें हम विगयी दष्टियां मही हैं व व एकन्दमरे थे परिपूर है और सब एन हा सर के मिन नियान हैं। मिफ हमारी सामिन दष्टि के कारण ही यह मब विगधी रिसाइ पड़ रहा है। महावीर मरा है fr अगर हम मय दष्टिया या पाड र ता भी सत्य पूरा नहीं हा नाता, ययामि मार दृष्टियां भी हो सकती हैं जो हमार सपाल म न हा! इयरिए महावीर ननर पी सम्भावना रस्त है, एक या आग्रह नहीं बरत । उस युग पर उनका प्रमाव पान मम पड़ा, इममा यहा कारण है । पुद का दष्टि एप और पसी है य ग पर सस्ता से खडे रहा ह और हा-मात्र भी यहाँ पहा नाहित । यह घटे मजे पी यात है कि हम जिसे साप दिया। परते है वह एकातयाती होता है। महावार साफ नही मारम पडत । वे हर बात म 'हो पहत है, हर यात मन नी । इममा मनग्य है पि चाहे तो उन्हें पता हा या पता है तो साफलाफ पता नहीं। यहा कारण है कि मतर्राष्ट्रीय विचारमा म बुद्ध या पनायुगियरमा नाम लिया जाता है महावीर पा नहा । परोहों साग मिल जायगे पृथ्वी पर रिहा महावीर म म पो सभी नहीं गुना । महावीर याश है और ना गती ही है, उसमा यात हमारी गगा में मुतिर माती है। जा गुमगत है उसने बना विचार हा दिसा पारिनिन्दगी पिरोया स मरी है। विधार परोसा सि ऐमा सार हा मह सरना जाएगा, प्रा और दारगर हो। उसर द्वाग पा गई सर मा प्रत्या पोपागनिसर होगी। रिन गियर उमर अगाा पो मूपा या जायगी, यदि निये IIT मा गूस है। पानी गिता ताता में दावा परता उतनी लता म गाती गहा पर सपा। आरम गाना हा दावा कर सरना है पापि गरी समर मनी कम है, जमने ला दाना गम है जाना पमहैसिपम यह पापा बना सपना है। महापार प मापदी अप है frमादपि पूरा Tth मारट पिरायी रहा। गव दृष्टिया गयागा है भोर मय दधिया विगी पर गत्य म मनानिहो जाती । frराट गार पा जाना है, या frit 4TH और दिमाग में महरि नाममा गिर ग ना ग प प पर राममा पार न पोरा पाई
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