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__महावीर : परिचय और वाणी
बैठना चाहता है और बुरे आदमी को दस लाख रुपए मिले है, वह भी चाहता है । जब उसे रुपये नही मिलते तो कहता है कि मैं अपने पिछले जन्म के बुरे कर्मों का फल भोग रहा हूँ । उसे झूठी सान्त्वना भी मिलती है कि जहाँ वह अगले जन्म मे स्वर्ग मे होगा वही वह बुरा आदमी नरक मे ।
मैं कहता हूँ कि कर्म का फल तत्काल मिलता है, लेकिन कर्म बहुत जटिल वात है । साहस भी कर्म है ओर उसका भी फल होता है, साहमहीनता भी कर्म हे और उसके भी फल है। इसी प्रकार बुद्धिमानी भी कर्म है, बुद्धिहीनता भी कर्म । इनके भी अपने-अपने फल है। यदि असफलता के कारण उनके भीतर होगे तो अच्छे आदमी भी असफल हो सकते है। बुरे आदमी भी मुवी हो सकते हैं यदि मुख के कारण उनके भीतर वर्तमान होगे। किसी और का दस तो हमे दिखता नही, दुस सिर्फ अपना और सूरव सदा दूसरे का दिखता है। ऐसे ही शुभ कर्म हमे अपना आर अशुभ कर्म दूसरे का दिसता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्म को गुम मानता है, क्योकि इससे उसके अहकार की तृप्ति होती है। सुस के हम आदी होते जाते हैं, दुख के कभी आदी नही हो पाते । आदमी दूसरे का देखता है अशुम और सुख, अपना देखता है शुभ और दुख । उपद्रव हो गया तो वह कर्मवाद के सिद्धान्त का आश्रय लेता है। मेरी मान्यता यह है कि अगर वह सुख भोग रहा है तो उसमे कुछ ऐसा जरूर है जो सुख का कारण है, क्योकि अकारण कुछ भी नही होता। अगर एक डाकू सुखी है तो इसका भी कारण है। साधु के दुसी होने का भी कारण है । अगर दस डाकू साथ होगे तो उनमे इतना भाई-चारा होगा जितना दस साधु मे कभी सुना नही गया। लेकिन अगर दस डाकुओ मे मित्रता है तो वे मित्रता के सुख अवश्य भोगेगे । साधु कैसे भोगेगा उस सुख को ? डाक कभी एक-दूसरे से झूठ नहीं बोलेगे, लेकिन साधु एक-दूसरे से बिलकुल झूठ बोलते रहेगे । सच बोलने का जो सुख है वह साधु नही भोग सकता। ___अन्त मे मै यह स्पप्ट कर देना चाहता हूँ कि अकस्मात् कुछ भी नही होता। यदि कुछ घटनाओ को अकस्मात् होना मान ले तो कार्य-कारण का सिद्धान्त व्यर्थ हो जाता है । यहाँ तक कि लॉटरी मी किसी को अकस्मात् नहीं मिलती। हो सकता है कि जिन लाख लोगो ने लॉटरी लगाई उनमे सबसे ज्यादा सकल्पवाला आदमी वही हो जिसे लॉटरी मिली। ऐसे ही हजार कारण हो सकते है जो हमे दीख नही पडते । वस्तुत उस घटना को ही अकस्मात् कहते है जिसके कारण का हमे पता नहीं होता। ऐसी घटनाएं होती है जिनका कारण हमारी समझ में नहीं आता । जीवन सचमुच बहुत जटिल है । इसमे कोई घटना कैसे घटित हो रही है यह ठीक-ठीक कहना एकदम मुश्किल है, लेकिन इतना तो निश्चित है कि जो घटना हो रही है उसके पीछे कोई-न-कोई कारण है, चाहे वह ज्ञात हो या अज्ञात । कर्म के सिद्धान्त