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१४६] तइओ वग्गो
६१ तए णं से पुण्णभहे अणगारे भगवन्ताणं अन्तिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अङ्गाई अहिजइ । २ बहहिं चउत्थछट्ठट्टम जाव भावित्ता बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ । २ मासियाए संलेहणाए सर्टि भत्ताई अणसणाए छेइत्ता आलोइयपडिक्कन्ते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे पुण्णभद्दे विमाणे उववायसभाए देवसयणिजंसि जाव भासामणपजत्तीए ॥ १४३॥
“ एवं खलु, गोयमा, पुण्णभद्देणं देवेणं सा दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमन्नागया। “पुण्णभहस्स णं, भन्ते, देवस्स केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता?” " गोयमा, दोसागरोवमाई ठिई पन्नत्ता" "पुण्णभद्दे णं, भन्ते, देवे ताओ देवलोगाओ जाव कहिं गच्छिहिइ, कहिं उववजिहिइ ?” “गोयमा, महाविदेहे वासे सिज्झिहिह जाव अन्तं काहिइ" ॥ १४४ ॥
निक्खेवओ ॥ ३॥५॥
उक्खेवओ ॥ ३॥६॥ एवं खलु, जम्बू । तेणं कालेणं २ रायगिहे नयरे। गुणसिलए चेइए । सेणिए राया। सामी समोसरिए ॥१४५॥
तेणं कालेण २ माणिभद्दे देवे सभाए सुहम्माए माणिभइंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जहा पुण्णभद्दो तहेव आगमणं, नट्टविही, पुव्वभवपुच्छा। माणिवई नयरी, माणिभद्दे गाहावई,थेराणं अन्तिए पव्वजा, एक्कारस अगाई अहिजइ, बहूई वासाई परियाओ, मासिया संलेहणा, सर्द्धि भत्ताई। माणिभद्दे विमाणे उववाओ, दोसागरोवमाइं ठिई, महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ ॥ १४६ ॥
निक्लेवओ ॥ ३॥६॥