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कलेन ।
हमारा का चंद्रादयः साक्षिणा इत्यथोक्ता हिरण्य निक्षिप्त घटस्य तोयैः। दद्यात्ततः साधक सव्य हस्ते विद्या प्रदता भवते मयेति ॥७॥
अर्थ-"चन्द्रमा इत्यादिकी साक्षी करके मैं तुमको यह विद्या देता है" यह कहकर शिष्य के बाएं हाथमें सोनेके कलशमेंसे जलकी धारा डाले ॥ ७॥
श्री जैन धर्मानु रताय विद्या, त्वया प्रदेयेति च भाषणीयं । मिध्यादृशे दास्यसि लाभ तश्चेत् ,
प्रामोति गौ ब्राह्मण घात पाप ॥ ८॥ अर्थ-"फिर उससे कहे" तुम यह विद्या जैन धर्म में अनुरक्त पुरुषको ही देना । यदि मिथ्यादृष्टिको दोगे तो तुमको 'गौ" और ब्राह्मणकी हत्याका पाप लगेगा ॥८॥
इति शिष्यको विद्या देनेकी संतबिधि ।
कुविद्यानकाय स्वत्पाद पंकजाश्रय निषेवनी देवि शासन देवते त्रिभुवनजनसंक्षोभिण त्रैलोक्य शिवाय कारिणि स्थावर जंगम विष मुख संहारिणि विष मोचिनि सर्बाभिचार कर्माय हारिणि परविद्योच्छेदिनी पर मंत्र यंत्र प्रणाशिनि अष्ट महा नाग कुलोच्चाटिनि काल दंष्ट्र मृतकोच्छायिनि सर्वरोग प्रमोचिनि ब्रह्मा विष्णु रुद्रो रगेन्द्र चन्द्रा दित्य ग्रह नक्षत्रोल्पात भय मरणमय पीडा संमर्दिनि त्रैलोक्य महते विश्वलोक वंश करे भुविलोक हितं करे महा भैरवे भैरव शस्त्रोपधारिणि रौद्र रौद्र रूप धारिणि प्रसिद्ध सिद्ध विद्याधर यक्ष राक्षस गरुड गन्धर्व किन्नर किम्पुरुष दैत्यो दैत्योर गेंद्र पूजिते ज्यालामाल कराल दिगन्तराले महा महिष वाहिनि खेटक कृपाण त्रिशूल शक्ति चक्र पाश शरासन शंख विराजमान पोडशार्दू भुजे एहिर हल्ब्यू ज्वालामालिनि ह्रीं क्लीं ब्लू ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं हः ह्रीं देवान् आकर्षप२ नाग ग्रहान् आकषपर यक्ष ग्रहान् आकर्षय २ गंधर्व ग्रहान् आकर्षयर ब्रह्म ग्रहान् आकर्षयर राक्षस ग्रहान् आकषपर भूत ग्रहान् आकर्षय २ व्यंतर ग्रहान् आकर्षय २ सर्व दुष्ट ग्रहान् आकर्षय२ कड कड कम्पाय२ शीर्ष चालय२ गात्रं चालय२ बाहु चालय २ पादं चालयर सर्वांगं चालपर लोलयर धनु२ कंपयरः शीघ्रमवतारय२ गृह्ण२ ग्राह्य २ अबोडय२ आवेशयर जल्ब्यू ज्वालामालिनि ह्रीं ह्रीं क्लीं ब्लू ह्रां ह्रीं ज्वल २ रररर घगर घूमांध कारेण ज्वलर ज्वलन शिखेदेव
ॐ नमो भगवते श्री चन्द्रप्रभ जिनेन्द्राय शशांक शंख गौक्षीर हार धवल गात्राय घाति कमानमूलोच्छेदनाय जाति जरा मरण विनाशनाय संसार कांतारोन्मूलनाय अचिंत बल पराक्रमाय अप्रतिहत महा चक्राय त्रैलोक्य वशंकराय सर्व सत्व हितं कराय सुरासुरोरगेंद्र मुकुट कोटि घटित पाद पीठाय त्रैलोक्य नाथाय देवाधि देवाय अष्टादश दोष रहिताय धर्म चक्राधीश्वराय सर्व विघ्न हरणाय सर्व विद्या परमेश्वराय