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MINIMIRRORISMANANDMINIMINIANMAMINARIANRAINITIONARomamaANARoomso
अथ भाषा अर्थ "जम्न्व्यू हिं ह्रीं ह्रीं क्लीं ब्लू देवान् नागान् गन्धर्वान् ब्रह्मान भूतान् व्यन्तरान् सर्वदुष्टग्रहान् आकर्षय२ ॥"
इस मंत्रके द्वारा बुलावे और स्थापना करे। फिरः"हां ही है हौं हः ज्वल ज्वल र ररररररर" इस मंत्रके द्वारा होमकुण्डमें मिरचोंको डाले । फिर
"देवग्रहान् नागग्रहान् यक्षग्रहान् गन्धर्वग्रहान् ब्रह्मग्रहान राक्षसग्रहान् सर्वदुष्टग्रहान् शतकोटिदेवतान् सहस्रकोटिपिशाचान दह२ पचर छिन्द२ भिन्द२ ह्रां हुँ हुँ फट् स्वाहा।"
___ इस मन्त्रके द्वारा देव शक्तिसे देवताओं, शाकिनी, डाकिनी, और शत्रुग्रहोंको वशमें करो इस मंत्रसे १२००० होम करे तौ शत्रु नाश हो, इस मंत्रसे गजेन्द्र, नरेन्द्र और सब शत्रुओंको वशमें करे । और पूर्व मंत्रको स्मरण रक्खे ।
इति बालामालिनी स्तोत्र साधन मंत्र विधि सम्पूर्णम्।।
दशम पारच्छद। ज्वालामाला कराले शशिकरधवले पन पत्रायताक्षी । ज्वालामालिन्य भीष्टे प्रहसितवदने रक्षमा देवि नित्यम् ॥१॥ हां ह्रीं है हौं महेचेक्षण रुचिरूचिरां गांग दै देव में है। व संतं बीज मंत्रकृत सकल जगतक्षेम रक्षाभि धाने ॥ क्षांक्षी vधे समस्त क्षितितहमहिते ज्वालिनी गैद्र मर्ने । ः क्षों क्षौं क्ष क्षः बीजै रहितदशदिशाबंधने रक्ष देवि ॥२॥ हकारारावथोरभ्रकुटिपुटहटद्रक्तलोलेक्षणानि । ज्वाला विक्षेपलक्षक्षपित निजविपक्षोदयार्ण रक्षे । भास्वत्कांचीकलापे मणिमुकुटहटज्ज्योतिषां चक्रवालथंचचंडाशु मन्मंडल सगर जया पादिके रक्ष देवि ॥३॥ ॐ ह्रीं कारोपयुक्त र र र र र र रां ज्वालिनी संपयुक्तम् । ह्रीं क्लीं ब्लूद्रां द्रीं सरेफ विपद मल कला पंच कोद्भासिह ह धू धू धूमांधकारिण्यखिलमिहजगदेवि देह्याशु वश्यम् । षो मे मन्त्र स्मरंतं प्रतिभयमथने ज्वालिनी मम वत्वम् ॥४॥ ॐ ह्रीं क्रों सर्व वश्यं कुरुर सर संक्रामणो तिष्ठ । हूँ हूं हूं रक्ष रक्ष प्रबल बल महा भैरवा राति भीते ॥ द्रां द्रींद्र द्रावय र हन फट् फट् वषट् बंध बंध । स्वाहा मंत्र पठतं त्रिजग दभिनुते देवि मां रक्ष रक्ष ॥५॥ हं झं झवीं वीं स हंसः कुवलयबकुले भूरसंभूत धात्रि । वीं झूह पक्षि हं हं हर हर हर हुँ पक्षिपः पक्षि कोपः॥
अथ ज्वालामालिनी स्तोत्र प्रारंभ श्रीमदत्योरूगेंद्रामर मुकुटतटालीटपादार विन्दे । माद्यन्मातंगकुम्भस्थलदलनपटश्रीमृगेंद्राधि रूढे ॥
बहमे तमाम पाठ विद्यानुवाद घाय ४ श्लोक १६४ से भागेसे लिखा गया है।