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१०) तत्त्वार्थ के तीसरे अध्याय का नाम लिखिए । ११) क्या नरक और स्वर्ग केवल संकल्पनात्मक हैं ? १२) जैन दृष्टि से भौगोलिक अवधारणाएँ तत्त्वार्थ के कौनसे अध्याय में निहित है ? १३) क्या देवलोक के देव ईश्वर हैं ? १४) देवों के कुल कितने निकाय हैं ? उनके नाम लिखिए । १५) ग्रह, नक्षत्र, तारका आदि कौनसे प्रकार के देव हैं ? १६) तत्त्वार्थ के पाँचवें अध्याय का मुख्य विषय कौनसा है ? १७) अजीव किसे कहते हैं ? १८) षड्द्रव्यों में से अजीव द्रव्य कौनसे हैं ? १९) षड्द्रव्यों में पाँच अस्तिकाय कौनसे हैं ? २०) जगत् के सब जीव एकदूसरे के आधार से जीते हैं - इस अर्थ का सूत्र शिक्षिका को पूछकर लिखिए । २१) जैन परम्परा का अणुविज्ञान एवं भौतिक विज्ञान कौनसे अध्याय में निहित है ? २२) हरएक द्रव्य (सत्) उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य से युक्त है - इस वाक्य का स्पष्टीकरण कीजिए । २३) सामान्यत: योग का क्या अर्थ है ? जैन परम्परा का विशेष अर्थ क्या है ? २४) आस्रव किसे कहा है ? आस्रव के मुख्य दो हेतु कौनसे हैं ? २५) तत्त्वार्थ के कौनसे अध्याय में, आठ कर्मों में से प्रत्येक के बन्धहेतु दिये हैं ? २६) तत्त्वार्थ के अनुसार व्रत किसे कहते हैं ? २७) तत्त्वार्थ के व्रत अध्याय में कौनसे चार महत्त्वपूर्ण नैतिक गुण अंकित किये हैं ? २८) श्रावकधर्म की दृष्टि से तत्त्वार्थ का कौनसा अध्याय महत्त्वपूर्ण है ? २९) कर्मबन्ध के मुख्य चार प्रकार कौनसे हैं ? इन चारों का सुविस्तृत वर्णन कौनसे अध्याय में है ? ३०) मोक्ष के उपायभूत ‘संवर और निर्जरा का वर्णन', तत्त्वार्थ के कौनसे अध्याय में किया है ? ३१) 'तप' का महत्त्व अनन्यसाधारण क्यों है ? ३२) साधुआचार, गुणस्थान और ध्यान इनपर कौनसे अध्याय में अधिक प्रकाश डाला है ? ३३) मुक्तात्मा कहाँ पर विराजमान होते हैं ? ३४) तत्त्वार्थसूत्र के १० अध्यायों के नाम क्रम से लिखिए ।
* (वार्षिक परीक्षा में इनमें से पाँच-छह प्रश्न किसी न किसी रूप में अनिवार्य रूप से पूछे जायेंगे