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रहती है', यह इस कहानी की नसीयत है ।
(८) जो सहस्स सहस्साणं
प्रस्तुत गाथा में लाखों के युद्ध में पाया हुआ विजय एवं आत्मा पर पाया गया विजय इसकी तुलना की गयी है । शत्रुओं पर पाया गया विजय भौतिक विजय है । भौतिक विजय तात्कालिन समाधान एवं भौतिक समृद्धि दे सकता है । रागद्वेष एवं कषायों से भरी खुद की आत्मा पर काबू पाना भौतिक विजय से बहुत ही कठिन है । जैनशास्त्र में हमेशा कहा गया है कि भौतिक, व्यावहारिक या बाह्य विजय से आत्मविजय कई गुना श्रेष्ठ है । क्योंकि आत्मविजयी व्यक्ति को जीतने लायक कोई भी दूसरी चीज नहीं रहती ।
(९) अप्पा नई वेयरणी
प्रस्तुत गाथा में वैतरणी नदी, कूटशाल्मली वृक्ष, कामधेनु और नंदनवन का निर्देश है । इनमें से पहले दो दुखद है और अंत के दो सुखद है । भावार्थ यह है कि अपने किये हुए कर्म के अनुसार ही नरक के दुःखों क्या स्वर्ग के सुखों की प्राप्ति होती है ।
इसी भावार्थ को लेकर छठी गाथा में आत्मा को कर्ता - विकर्ता तथा मित्र - शत्रु कहा है ।
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स्वाध्याय - ६
१) जीव को 'उत्तम' क्यों कहा है ? (पाँच-छह वाक्य) (गाथा १ भावार्थ)
२) नकारात्मक दृष्टि से जीव का वर्णन किस प्रकार किया है ? (एक वाक्य ) (गाथा २ अर्थ )
३) ‘बहिरात्मा' किन्हें कहते हैं ? ( दो-तीन वाक्य ) ( गाथा ३, ४ भावार्थ )
४) ‘अंतरात्मा' किन्हें कहते हैं ? ( दो-तीन वाक्य ) ( गाथा ३, ४ भावार्थ )
५) परमात्मा के दो प्रकार कौनसे बताएँ है ? (एक वाक्य) (गाथा ३ अर्थ )
६) तीन प्रकार के आत्मा के सहारे हम किस प्रकार ध्यान कर सकते हैं ? (एक-दो वाक्य) (गाथा ५ अर्थ) ७) ‘आत्मा सुखदुःखों का कर्ताभोक्ता है' - स्पष्ट कीजिए । ( तीन-चार वाक्य) (गाथा ६ भावार्थ) ८) ‘अपनी आत्मा, अपना मित्र भी है, शत्रु भी है' - स्पष्ट कीजिए । (दो वाक्य) (गाथा ६ भावार्थ ) ९) आत्मदमन और परदमन इनमें क्या श्रेष्ठ है ? क्यों ? ( दो-तीन वाक्य ) ( गाथा ७ भावार्थ) १०) परमविजय कौनसा है ? क्यों ? ( तीन-चार वाक्य) (गाथा ८ भावार्थ)
११) ‘वेयरणी’, ‘कूडसामली', 'कामदुहा घेणू' और 'नंदणवण' इन शब्दों के संक्षेप में अर्थ लिखिए । (गाथा ९ अर्थ )
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