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________________ २. देव (जैनत्व की झाँकी - पाठ १) १) 'देव' पाठ के पहले हेमचन्द्राचार्य का जो संस्कृत श्लोक है उसमें जैनधर्म' की व्याख्या किस प्रकार दी है ?(हिन्दी श्लोक) २) जैन दृष्टि से साधना का लक्ष्य क्या है ? (एक वाक्य) ३) दिव्यता प्राप्त करने के लिए किसकी आवश्यकता है ? (एक वाक्य) ४) जैन-धर्म की आधारशिला क्या है ? (एक वाक्य) ५) 'जैन' किसे कहते है ? (पाँच-छह छोटे-छोटे वाक्य) ६) 'जिन' का अर्थ क्या है ? (दो-तीन वाक्य) ७) असली शत्रु कौन है ? (एक वाक्य) ८) 'राग' और 'द्वेष' की संक्षिप्त परिभाषा लिखिए । (दो वाक्य) ९) 'राग' के कारण कौनसे दो कषाय उत्पन्न होते हैं ? (एक वाक्य) १०) 'द्वेष' के कारण कौनसे दो कषाय उत्पन्न होते हैं ? (एक वाक्य) ११) 'जिन' के पाँच विभिन्न नाम बताइए । (एक वाक्य में पाँच नाम) १२) 'जिन' को 'वीतराग' क्यों कहते हैं ? (एक वाक्य) १३) 'जिन' को 'अरिहन्त' क्यों कहते हैं ? (एक वाक्य) १४) 'जिन' को 'अर्हत' क्यों कहते हैं ? (दो-तीन वाक्य) १५) 'जिन भगवान' केवलज्ञान के द्वारा क्या जानते हैं ? (एक-दो वाक्य) १६) आत्मा ‘परमात्मा' कब बनता है ? (दो-तीन वाक्य) १७) जैन-धर्म कौनसी देवताओं को अपना इष्टदेव नहीं मानता ? (एक वाक्य) १८) जैन-धर्म के अनुसार 'सच्चे देव' कौन हैं ? (छोटे-छोटे चार वाक्य) १९) जिन भगवान कितने हैं ? (एक वाक्य) २०) वर्तमान कालचक्र में सबसे पहले 'जिन भगवान' कौन हुए ? (एक वाक्य) २१) जैन-धर्म व्यक्ति-पूजक धर्म नहीं है, गुण-पूजक धर्म है' - इस वाक्य के समर्थन में चार-पाँच वाक्य लिखिए
SR No.009952
Book TitleJainology Parichaya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNalini Joshi
PublisherSanmati Tirth Prakashan Pune
Publication Year2009
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size137 KB
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