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वातस्तनितोदधिद्वीप दिक्कुमाराः । । १० ।।
भवनवासी (१) असुरकुमार (२) नागकुमार (३) विद्युत कुमार (४) सुपर्णकुमार (५) अग्निकुमार (६) वायुकुमार (७) स्तनित कुमार (८) उदधि कुमार (९) द्वीप कुमार (१०) दिक्कुमार के भेद से दस प्रकार के हैं।
व्यंतराः किन्नरकिम्पुरुषमहोरगगन्धर्व
यक्षराक्षसभूतपिशाचाः। ११ ।।
(१) किन्नर (२) किम्पुरुष ( ३ ) महोरग ( ४ ) गन्धर्व (५) यक्ष (६) राक्षस (७) भूत (८) पिशाच ये आठ प्रकार के व्यन्तर देव होते हैं।
ज्योतिष्क देव (१) सूर्य (२) चन्द्रमा (३) ग्रह ( ४ ) नक्षत्र ( ५ ) प्रकीर्णक तारे, इस तरह पाँच प्रकार के हैं।
देते
हुए
ज्योतिष्काः सूर्याचन्द्रमसौ ग्रह नक्षत्रप्रकीर्णकतारकाश्च ।। १२ ।।
होता है।
मेरुप्रदक्षिणानित्यगतयो नृलोके ॥ १३ ॥
ये सब ज्योतिष्क देव मनुष्यलोक में सुमेरू पर्वत की प्रदक्षिणा निरन्तर करनेवाले हैं।
तत्कृत:
कालविभागः।।१४।
घड़ी पल आदि समय का विभाग सूर्य चन्द्रमा द्वारा सूचित
बहिरवस्थिताः।।१५।
मनुष्य लोक के बाहर वे सब ज्योतिष्क देव स्थिर हैं।
वैमानिकाः ।।१६।।