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पञ्चतन्त्र सब कहाँ जा रहे हो ? अब अपने इष्ट देवता को याद करो !" इस पर मैंने उससे कहा, "हम सब अपने मालिक भासुरक सिंह के पास वायदे के अनुसार निवाले बनकर जा रहे हैं।" इस पर उसने कहा, "अगर ऐसी बात है तो मेरा यह सारा जंगल है; इसलिए सब जानवरों को मेरे साथ ही ठहराव करना चाहिए । भासुरक तो चोर है । अगर वह राजा है तो दिलजमई के लिए चार खरगोशों को यहाँ धरकर भासुरक को बुलाकर जल्दी यहाँ आ, जिससे हम दोनों में ताकत से जो राजा होगा, वह इन सबको खा सकेगा।" इसलिए उसकी आज्ञा पाने पर मैं आप के पास आया हूँ। देर होने का यही सबब है। इस बारे में आप की आज्ञा ही प्रधान है।" यह सुनकर भासुरक ने कहा , “भद्र, अगर यह बात है तो जल्दी से मुझे तू उस चोर सिंह को दिखला जिससे पशुओं पर का गुस्सा मैं उस पर उतारकर चंगा बन जाऊँ।" कहा है कि
"जमीन, दोस्त और सोना, लड़ाई के ये तीन कारण हैं, इन तीनों में से एक के न होने पर कोई लड़ाई नहीं करता। "जहाँ बड़े फल की आशा नहीं है, पर जहाँ हार है, ऐसी जगह
बुद्धिमान उभारकर लड़ाई-झगड़ा मोल नहीं लेते ।" . खरगोश ने कहा, “स्वामी ! यह बात सत्य है । अपनी जमीन के लिए अथवा अपनी बे-इज्जती होने पर क्षत्रिय लड़ाई लड़ते हैं । पर वह किले में रहने वाला है , वहीं से निकलकर उसने मुझे छेका था । किले में रहने वाला कष्ट-साध्य हो जाता है।
कहा है कि . "हजार हाथियों से और लाख घोड़ों से लड़ाई में राजाओं का जो काम ठीक नहीं उतरता, वह केवल एक किले से सिद्ध हो जाता है । "शहरपनाह पर खड़ा एक तीरंदाज सौ आदमियों को रोक सकता है। इसलिए नीति-शास्त्र भी कुशल किले की प्रशंसा करते हैं।