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पञ्चतंत्र
इसी प्रकार
"जो सेवक स्वामी को क्रोधित और प्रसन्न करने वाली वस्तुओं की खबर रखता है, वह भटकते हुए राजा के भी धीरे-धीरे ऊपर चढ़ जाता है ।
"विद्वान, महत्वाकांक्षी, शिल्पी, तथा सेवावृत्ति में चतुर पराक्रमशीलपुरुषों के लिए राजा के सिवाय और कोई दूसरा आश्रय नहीं है । "जो अपनी जाति के अभिमान में मस्त होकर राजा के पास नहीं जाता उसके लिए मरने तक भिक्षा-रूपी प्रायश्चित की व्यवस्था है।
"जो दुरात्मा ऐसा कहते हैं कि वाले होते हैं' वे सरासर अपना ही प्रकट करते हैं ।
"सर्प, बाघ, हाथी और सिंहों जैसे जानवरों को उपाय से वश में किया हुआ देखकर बुद्धिशाली और अप्रमादी पुरुषों के लिए राजा को वश 'करना कौन-सी बड़ी बात !
"राजा का आश्रय पाकर ही विद्वान परम सुख प्राप्त करता है । बिना मलय के चन्दन और कहीं नहीं उगता ।
" राजा के प्रसन्न होने पर सफेद छाते, सुन्दर घोड़े तथा सदा मतवाले हाथी मिलते हैं ।"
'राजा मुश्किल से प्रसन्न होने प्रमाद, आलस्य और मूर्खता
करटक बोला, “तो अब तुम्हारा मन क्या करने का है ?" उसने कहा," अभी हमारा मालिक पिंगलक अपने परिवार के साथ भयग्रस्त है । हम उसके पास जाकर उसके भय का कारण जानकर संधि, विग्रह, यान, आसन, संशय और द्वैधीभाव में से किसी एक से उसे साध लेंगे ।"
करटक ने कहा,“ स्वामी भयभीत है यह तुमने कैसे जाना है ?" उसने कहा, "इसमें जानने की क्या बात है ?
कहा है कि---
" कही गई बात तो पशु भी ग्रहण करते हैं, घोड़े और हाथी