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चाणक्यसूत्राणि
( अधिक सूत्र ) सविशेषं वा कुर्यात् । तात्कालिक विशेष कर्तव्य विना पूछे तुरन्त कर लिया करें। विवरण- राजभृत्यलोग राष्ट्रहितकारी वे तात्कालिक विशेष काम, जो कालविलम्ब न सह पकते हों, जिनके सम्बन्ध राजाज्ञा प्राप्त करने में अवसर निकल जानेकी अधिक संभावना हो. राजाज्ञा न मिलने पर अपनी सूझसे राजाका अनुमोदन मिल सकने के पूर्ण विश्वास के साथ कर लिया करे और राजासे कर्तव्यनिष्ठ, स्वामिभक होने की प्रशंपा प्राप्त करें ।
( अधिक सूत्र ) स्वामिनो भीरुः कोपयुज्यते । राजसेवामें भीरु अकर्मण्य लोगोका कोई उपयोग नहीं है।
( अनार्य की निर्दयता ) ( आधिक सूत्र ) नास्त्यनार्यस्य कृपा। अनार्य ( अर्थात् नीच मनुष्य अपनी क्रूरता तथा अनुदारताक कारण दूसरों के साथ सदय वर्ताव करना नहीं जानता।
विवरण- अनार्योको कर्तव्या-कर्तव्यकी कसौटी मार्यो सर्वथा विप. रीत होती है । अनार्य लोक कर्तव्यों को त्यागते तथा अकर्तव्य करते हैं। अनार्य लोग अपनी स्वार्थ बदि से मनुष्य- समाजका ३ल्याण करने वाले कर्तव्यों को त्याग देते हैं और मनुष्य-समाजके कल्याणपर आक्रमण किया करते हैं । अनार्य लोग अपनी संकीण दृष्टि से लोभान्ध, कामान्ध होकर अशान्तिकारिणी पैशाचिक लीला किया करते हैं । दया, कृपा आदि उदारगुण भार्या में ही पाये जाते हैं। जिसमें ये गुण पाये जाते हैं वे अनार्य कहानेवाली जातियों में उत्पन्न होनेपर भी कार्य हैं । जो दया, कृपा भादि करना नहीं जानते वे मार्यपरिवारमें जन्म लेकर भी मनार्य या म्लेच्छ कहाते हैं।
सार्वभौम धोका पालन करने वाले लोग ही भार्य कहे जा सकते हैं । मायताका किसी सम्प्रदाय, जाति या भूमण्डल से सम्बन्ध नहीं है । आर्यता