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१० सुख
१-४०. सुख और शान्ति वैज्ञानिक खोज है निष्पक्ष होकर
यदि कोई इस खोज का प्रयत्न करें तब शीघ्र सफल हो सकता, क्योंकि वह सुख शान्ति निज को गुण है निज में निज से प्रकट होता साधनान्तर की आवश्यकता नहीं।
ॐ ॐ ॐ २-६६. ज्ञानी को जैसे विपदा दुखी नहीं कर सकती उसी
तरह संपदा भी सुखी नहीं करती उसका सुख तो साहजिक है।
३-१२२. अपने जीवन से भी मोह न करने वाला मनुष्य
सत्य सुख का पात्र है।
४-१२५. कर्म के उदय में कर्म अकर्मत्वरूप ही होता है
क्योंकि कर्म परमाणुवों के उदय के बाद भी उन्हें कर्म रूप बनाये रहने में कोई समर्थ नहीं, अतः सिद्ध है--