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[ ८४ ] १.०-१७६. "स्वतंत्रः कर्ता" इस नियम से रागद्वषः परि
णाम का कर्ता आत्मा नहीं किन्तु रागद्वष परिणाम के ज्ञान का कर्ता आत्मा है ।
११-२४८. क्रमवद्ध पर्याय पर विश्वास रखकर बुद्धिपूर्वक
कुछ न करने का महान् पुरुषार्थ करो।
१२-२६६. पर पदार्थ का परिणमन तेरे आधीन नहीं, व्यर्थ ही तू अज्ञानवश पर के निमित्त विकल्पक बन कर पाकुलित हो रहा है।
ॐ ॐ ॐ १३-२७८. एसा कभी मत सोचो कि मैंने अमुक पदार्थ को ।
अब तक ऐसा बनाया, अब कैसे छोडू' ? तू न पर का कर्ता था, न है, न होगा। उनका ऐसा ही परिणमन होना था होगया, तू तो केवल उनका आश्रयमात्र था।
१४-३६५. तुम अपने. रागादि परिणाम के ही कर्ता
भोक्ता हो सकते किन्तु किसी पर पदार्थ के कर्ता भोक्ता नहीं हो सकते ।