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________________ मधोविजयपत्र पाई। 4-मस्तानारधारासपा सविल:पायला दसलाते। नामितीमहाकालपाछाय माया। अश्वावोबादारला नीवपयोराशयतस्तारकाईकागण न) यांसमा यातापायसनकरिबर 119 हदयंतानगंजीव लावण्यपा वनं। गर्मिनोत्तिावाला यम्मकि विरममायनासामुक्तंयुक्रमिदंयमित ज्ञानातानविनिरमातिमातिम बायोगातेनिचिलाउलाययाम. पानाउलाध्यताविताय कामापन्निपजलमाश्रिता लापतिहदेवमामाकत्व.इधर लंकेरि मोविषिकैरिवार में दोदितनतामामामामारकास्वतंत्र प्रतिमाममोरमाननाजिममता राखं बगदर्शनाराप्रकारकनिमोराय: प्रतापत्रमावाली नीम्फारगो:23 अमूहशालार्यमारहवमानवाविति लावादिममा यकदिदिप्रमादिता श्रीपाद प्रतिक्वेिसवा२४ घातत्र कालाबजमादि तारतमा विवधुतारम विवधा प्रससक पर्यावर्मा जम राजपाल विविजा मंतंक विराजिव शुगल परेनियासपदलोक्ता माधवा प्रखरामरममता 30 तारकाईनी मेसिनेतनम नजविजयात्रा दिनुका तक्दिर-अंइकासधागपयाजीश विजयनगो हबविजयमंतका प्राणाया४विजमारमा विजयमलकाकाघागराया. लक्ज मा जगायोविजयपतकापाय वैविजमारलगायापदापनमं. विनोदेतापरादातरघोरिवलदेवदह विलहदिनियामकलितमिहाज्ञान होतंअंदानपावकदज्ञानातनयां अतिशतरवलजादतान ज्ञानक्रिया क्रमा वाकवालदमदा भाज्यचरसजायायवाई वात्मते उपवाहमा पछातियप रिपतोद्ययावकलतरामा लालतिरंग
SR No.009888
Book TitleYashovijayji Swahast Likhit Kruti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherYashobharti Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages77
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size55 MB
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