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नदम्पत्ती लादि, तो हापि द्रव्ये सर्वदा स्थायिनि परिणामो पालेर परिणाम दो प्रती बिनादेव नविरुमा वितिज्ञाव: तिओग श्री स्पा दादो पनि पनि सक्मिक्तित्र वारे पिया। मुत्समदधिरेत्रकशनमनैयाधिक प्रक्रियाः किं वित्रदिवारी पर मायादिनां तत्रान्मरको नया देविनयप्राज्ञाः प्रमापदि ॥ मयंती वरोराचीन जगत्वाद्योत्मानोदयः यस्य श्री मद के घर प्रतिहत प्रसूती मंतिनीने त्राता मिहीकीतः सितामान बोहरा र भूषि जमादि मेनमुक् सेजखिनामस्तोय ते नमो मतः तशा या नदि शीवाद दिल्ली पतेः पर्षद बस्तान नकै वादिनिवमन्त्र बंधावर श्री विजयादिदेवमुकः प्रयोतते मात्र नम विषणं मुनिजन क्रमाक मामुपाजतो तुमेयाम तिनिति तावत्पलममत नाटक तपादि मुना मानो जम्मा' तत्पहा तरुण विष्णु रविदायी ह होता कीर्तन तस्मात् सुदारता । वन क्लकपना लखनादि कुंजाः कातरा 19 मायोज राति कामना र काम बंद क झूलन जे नयघपिवाड नाकिनमतिषां जजनेतरा श्री महाचकपुरावा व श्री हरीश श्री काल विराजमानविजया वष्पाजयश्रीमत: श्रीहिमस्त लिनां दधतः साक्षानुशासनो धिया श्री ज्ञान विजय विबुधा तेषां शिष्योत्तमाः अवस्तेषां शिष्या विबुधाः श्रीजीतविजयनामान: राजतित बात श्रीनय विज्ञाता विबुधाःस्माबाद र प अमित त्यागेज सब्जियानिधगलिना शिष्लनवीनतम् ॥ श्री इतिश्रीपाद रहम्घः झवल 1 वर्षे गलितं विजयेनातपाततिय
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तर प्रकरलमेत तर्कशास्त्राणि प्रभात्लमतपरीक्षा दी ज्ञादसोय निर्बतनोतु ॥ श्री ॥ स्वैर मि दानुरुतरा एवमनागति। परमित्रकला गुणनायो श्री
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दादरहस्य यंघः
सम्मान्ध [अन्तिम पृष्ठ ]
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