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________________ (157) भाष कृष गबेष कांक्ष प्रति-ईक्ष तक्ष वि-कम भुक्क , भस । कट्ट, साट्ट, अञ्च, अणच्छ, अअच्छ, । श्राइंच्छ, करिम ; (असिकर्षणार्थ) अरकोड ढुढुल्ल, ढंढोल, गमेस, घत्त, गवेस । सामग्ग, अवास, परिश्रत, मिलेस ; चोप्पड, मरक (आाह, आहिलंघ, पाहिलंख, वच्च, बम्फ, (मह, सिह, विलुप, कंख मामाय, विहीर, विरमाल, पडिख तच्छ, चच्छ, रम्प, तस्क, रम्फ ; कोपास, वोसढ्ढ, विप्रम ; गुज़, इस लहम, डिंभ, संस; डर, वीज, वज्ज; णिम, णम ; पल्लीट्ट, पलट्ट, पलहत्य । झख, नोमस ; (उसल, असुम्भ, णिल्लस, पलपात्र, गुजल्ल, । भारोत्र; भिस, भास; घिस, गस; अोवाह, ओगाह ; चड, वलग्ग, पारुह; गुम्म, गुम्मड, मुजझ; चम नि-अस परि-अस् नि-श्वम उत्-लस भास ग्रम अव-गाह प्रारुह Aho ! Shrutgyanam
SR No.009885
Book TitleKaran Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBramhadev, Sudhakar Dwivedi
PublisherChaukhamba Sanskrit Series Office
Publication Year1899
Total Pages284
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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