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( 150 )
प्रच्छ
पुच्छ
गज
राज प्र-स
नि-सू
जाग
वि-श्रासं-कृ
श्रा-दृ प्र-ह
वुक्क, (वृषगर्जने) ढिक; रग्ध, छह्य, सह, रीर, रेह (१) पयन, उव्वेल. (गन्ध प्रसारे) महमह । नीहर, नील, धाड, वरहाड, नीमर जग्ग, जगार; श्राअड्ड, वावार; साहार, साहट्ट ; सन्नाम, श्रादर; सार, पहर; श्रोह, श्रोरस, उपर; चय, तर, तीर, पार; सक; चय; तर;
श्रव-द
शक
त्यज
प-णिच
पार
फक्क
छक्क
स्वाघ
सल्ह वेअड, खच ; सौल, पडल, पत्र
पच
(१) In the sauraseni ria is substituted for raj शौरसेन्यां राजस्य रात्र इति रूपं।
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