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( 145 )
The following roots change their forms under special
rules.
The original sanskrit roots
संस्कृत धातवः
कथ
जुगमा
बुभुक्ष
ध्या
45
ान
उत्-मा
श्रुत्-धा
पा (पाने)
उत-वा
मी- द्रा
श्रा-घा
सम्
- से
The Prakrit forms which the sanskrit roots optionally assume at the time of conjugation.
( संस्कृत धातूनां प्राकृत रूपाणि )
वज्जर, पज्जर, उप्पाल, पिसुण, संघ, वोल, चव, जंप, सीस, साह; पिव्वर (दुःखार्थे)
झुए, दुगुच्छ, दुगुच्छा
णीर
झा
गा
जाण, मुल;
धुमा ;
दद्द ;
पिज्ज, कल, पट्ट, घोठ्ठ
श्ररुम्मा, वसुश्रा
उहीर, उंघ
दूग्ध (१)
श्रवभुक्क
खा
(१) मौरर्मन्यां प्रायामे जिंह (in the s'auraseni jinha is substituted for
ghri.
Aho! Shrutgyanam
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