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अध्याय - ६
The living and the non-living constitute the substrata.
आद्यं संरम्भसमारम्भारम्भयोगकृतकारितानुमतकषाय
विशेषैस्त्रिस्त्रिस्त्रिश्चतुश्चैकशः ॥८॥ [आद्यं] पहला अर्थात् जीव अधिकरण-आस्रव [संरम्भसमारम्भारम्भयोग, कृतकारितानुमतकषायविशेषैः च] संरम्भ-समारम्भ-आरम्भ, मन-वचन-कायरूप तीन योग, कृत-कारित-अनुमोदना तथा क्रोधादि चार कषायों की विशेषता से [त्रिः त्रिः त्रिः चतुः] 3 x 3 x3 x4 [ एकशः] 108 भेदरूप है।
The substratum of the living is of 108 kinds.?
निर्वर्तनानिक्षेपसंयोगनिसर्गा द्विचतुर्द्वित्रिभेदाः परम् ॥९॥ [ परम् ] दूसरा अजीवाधिकरण आस्रव [निर्वर्तना द्वि] दो प्रकार की निर्वर्तना, [निक्षेप चतुः] चार प्रकार के निक्षेप [संयोग द्वि] दो प्रकार के संयोग और [ निसर्गा त्रिभेदाः] तीन प्रकार के निसर्ग ऐसे कुल 11 भेदरूप है।
? Literal version. The substratum of the living is planning to commit violence, preparation for it, and commencement of it, by activity, doing, causing it done, and approval of it, and issuing from the passions, which are three, three, three, and four respectively.
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