________________
अध्याय - २
औपपादिकचरमोत्तमदेहासंख्येयवर्षायुषोऽनपवायुषः
॥५३॥
[औपपादिक ] उपपाद जन्मवाले देव और नारकी, [ चरम उत्तम देहाः ] चरम उत्तम देह वाले अर्थात् उसी भव में मोक्ष जाने वाले तथा [ असंख्येयवर्ष आयुषः] असंख्यात वर्ष आयु वाले भोगभूमि के जीवों की [आयुषः अनपवर्ति ] आयु अपवर्तन रहित होती है।
The lifetime of beings born in special beds, those with final, superior bodies and those of innumerable years, cannot be cut short.
॥ इति तत्त्वार्थाधिगमे मोक्षशास्त्रे द्वितीयोऽध्यायः॥
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
35