________________
अध्याय - २
शेषाणां सम्मूर्छनम् ॥३५॥ [शेषाणां] गर्भ और उपपाद जन्म वाले जीवों के अतिरिक्त शेष जीवों के [ सम्मूछनम् ] सम्मूर्च्छन जन्म ही होता है अर्थात् सम्मूर्छन जन्म शेष जीवों के ही होता है।
The birth of the rest is by spontaneous generation.
औदारिकवैक्रियिकाहारकतैजसकार्मणानि शरीराणि
॥३६॥ [औदारिक वैक्रियिक आहारक तैजस कार्मणानि]
औदारिक, वैक्रियिक, आहारक, तैजस और कार्मण [शरीराणि ] यह पाँच शरीर हैं।
The gross, the transformable, the projectable or assimilative, the luminous (electric), and the karmic are the five types of bodies.
परं परं सूक्ष्मम् ॥३७॥ पहिले कहे हुए शरीरों की अपेक्षा [ परं परं] आगे-आगे के शरीर [ सूक्ष्मम् ] सूक्ष्म-सूक्ष्म होते हैं, अर्थात् औदारिक की अपेक्षा वैक्रियिक सूक्ष्म, वैक्रियिक की अपेक्षा आहारक सूक्ष्म, आहारक की अपेक्षा तैजस सूक्ष्म, और तैजस की अपेक्षा से कार्मण शरीर सूक्ष्म होता है।
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
. . 29