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अध्याय
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पूर्वप्रयोगादसंगत्वाद्बन्धच्छेदात्तथागतिपरिणामाच्च ॥६॥
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[ पूर्वप्रयोगात् ] 1- पूर्व प्रयोग से, [ असंगत्वात् ] 2 - संग रहित होने से, [ बन्धच्छेदात् ] 3- बन्ध का नाश होने से, [ तथागतिपरिणामात् च ] और 4- तथागति परिणाम अर्थात् ऊर्ध्वगमन स्वभाव होने से मुक्त जीव के ऊर्ध्वगमन होता है।
As the soul is previously impelled, as it is free from ties or attachment, as the bondage has been snapped, and as it is of the nature of darting upwards.
आविद्धकुलालचक्रवद्व्यपगतलेपालाबुवदेरण्डबीजवदग्निशिखावच्च ॥७॥
मुक्त जीव [ आविद्धकुलालचक्रवत् ] 1- कुम्हार द्वारा घुमाये हुए चाक की तरह पूर्व प्रयोग से, [ व्यपगतलेपालाबुवत् ] 2- लेप दूर हो चुका है जिसका ऐसी तूम्बे की तरह संग रहित होने से, [ एरण्डबीजवत् ] 3 - एरण्ड के बीज की तरह बन्धन रहित होने से [च] और [ अग्निशिखावत् ] 4- अग्नि की शिखा (लौ ) की तरह ऊर्ध्वगमन स्वभाव से – ऊर्ध्वगमन (ऊपर को गमन) करता है।
Like the potter's wheel, the gourd devoid of mud, the shell of the castor-seed, and the flame of the candle.
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