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अध्याय
सद्वेद्यशुभायुर्नामगोत्राणि पुण्यम् ॥२५॥
[ सद्वेद्यशुभायुर्नामगोत्राणि ] साता वेदनीय, शुभ आयु, शुभ नाम और शुभ गोत्र [ पुण्यम् ] ये पुण्य-प्रकृतियाँ हैं।
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The good variety of feeling-producing karmas, and the auspicious life, name, and status-determining karmas constitute merit (punya).
The remaining varieties of karma constitute demerit.
अतोऽन्यत्पापम् ॥२६॥
[ अतः अन्यत् ] इन पुण्य - प्रकृतियों से अन्य अर्थात् असाता वेदनीय, अशुभ आयु, अशुभ नाम और अशुभ गोत्र [ पापम् ] ये पाप-प्रकृतियाँ हैं।
॥ इति तत्त्वार्थाधिगमे मोक्षशास्त्रे अष्टमोऽध्यायः ॥
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