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सन्मति-तीर्थ
सम्पादकीय
अभ्यासक मिलते गये और कारवाँ बन गया ! सन्मति-तीर्थ वार्षिक पत्रिका का यह ग्यारहवाँ अंक प्रकाशित करते हुए हमें अतीव गौरव की अनुभूति हो रही है । विद्यार्थियों से पूरे सालभर अर्धमागधी आगम का अध्ययन करवाकर आखिर हम उसपर आधारित एकदिवसीय चर्चासत्र का आयोजन करते हैं । इस साल सूत्रकृतांग ग्रन्थ के प्रथम श्रुतस्कन्ध पर आधारित विद्यार्थियों ने लिखे हए लगभग ७० लघुशोधलेखों का वाचन इस चर्चासत्र में हुआ । कुछ सम्पादकीय संस्कारों के साथ इनमें से चयनित करके, विशेष उल्लेखनीय निबन्धोपर आधारित सूत्रकृतांग (१) मूलभूत चिन्तन विशेषांक हम प्रस्तुत कर रहे हैं । समाज के सभी जिज्ञासु एवं जैनविद्या के विद्यार्थी इस पत्रिका का खूब आनन्द उठायेंगे।
पिछले पांच सालों से पुणे विद्यापीठ में स्थित जैन अध्यासन और सन्मति-तीर्थ के संयुक्त प्रावधान में नये नये उपक्रमों का आयोजन हो रहा है । २० ऑगस्ट २०११ को पुणे विद्यापीठ में आयोजित वक्तृत्वस्पर्धा का वृतान्त, इस विशेषांक में अंकित किया है। स्पर्धा का विषय था - 'गर्व से कहो, हम जैन हैं ।' जैन अध्यासन के द्वारा
आयोजित भक्तामरस्तोत्र-अध्ययन-उपक्रम का भी जिक्र इस पत्रिका में किया है । फिरोदिया ऑडिटोरियम में आयोजित व्याख्यान का सारांश वाचक अवश्य पढें । प्रख्यात विचारवंत डॉ. सदानंद मोरेजी ने भ. श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व की समीक्षा इस व्याख्यान में की है।
हर साल की तरह परीक्षा-परिणाम, शिक्षक-सूचि, सन्मति-तीर्थ के पाठ्यक्रम और पृष्ठांकित कविता का समावेश भी इस पत्रिका में है । वाचकों को नम्र अनुरोध है कि अंक ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा अभिप्राय भी दें।
श्रीमान् अभय फिरोदियाजी के प्रोत्साहन के कारण ही सन्मति-तीर्थ वार्षिक पत्रिका नियमित रूप से निकल रही है । हम उनके ऋणी हैं ।
डॉ. नलिनी जोशी (मानद निदेशक) सप्टेंबर २०१२
सन्मति-तीर्थ सन्मति-तीर्थ वार्षिक-पत्रिका २०१२
अनुक्रमणिका क्र. शीर्षक
लेखक पृष्ठ क्र. १) सूत्रकृतांग (१) के विविध आयाम
१) प्रस्तावना २) निबन्धसूचि ३) अन्धविषयक दृष्टान्त
कुमुदिनी भंडारी ४) सूरं मण्णइ अप्पाणं
सुमतिलाल भंडारी ५) वादविवादसंगम
शकुंतला चोरडिया ६) आदानीय (काव्य)
आशा कांकरिया ७) जलसम्बन्धी विचार
मनीषा कुलकर्णी ८) आदर्श अध्यापक
बालचन्द मालु ९) नरक : वास्तव या संकल्पना संगीता मुनोत १०) क्या भगवन् आप भी !
ज्योत्स्ना मुथा ११) सूत्रकृतांग का दार्शनिक विश्लेषण
(श्रीमद् राजचन्द्र के अनुसार) हंसा नहार १२) उपसर्गपरिज्ञा में स्त्रीसंगविषयक दृष्टिकोण अर्जुन निर्वाण १३) पानी की एक बूंद (काव्य) चंदा समदडिया १४) सूत्रकृतांगातील तीन शब्दांचे मूळ अर्थ (काव्य) चंदा समदडिया १५) वीरत्थुई के अन्तरंग में १६) समवसरण : एक परिशीलन १७) सूत्रकृतांग में श्रुत-धर्म १८) गुरुकुलवास एक आदर्श शिक्षा-प्रणाली